विवाद समाप्ति के लिए संस्थागत मध्यस्थता की जरूरत : प्रधान न्यायाधीश
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शनिवार को संस्थागत मध्यस्थता की ओर बढ़ने का आह्वान किया, जिससे भारत में समय पर और कम लागत के मध्यस्थता केंद्र बन सके।
उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत और उद्देश्य हैं। साथ ही संस्थागत मध्यस्थता की ओर आगे बढ़ना है।
प्रधान न्यायाधीश मिश्रा ‘अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन : वैश्वीकरण के दौर में मध्यस्थता’ कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, संस्थागत मध्यस्थता की ओर बढ़ने की जरूरत है। इसकी जरूरत है और उद्देश्य है। विवादों के निपटारे के लिए संरचनात्मक अधिनिर्णय की जरूरत है।
इस सम्मेलन का आयोजन इंडियन कौंसिल ऑफ आर्बिट्रेशन (आईसीए) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने संयुक्त रूप से आयोजित की थी।
उन्होंने कहा, मैं अवश्य ही कहूंगा, मैं संस्थागत मध्यस्थ जैसे आईसीए और एमसीए के पक्ष में हूं।
वाणिज्यिक विवादों के निपटारे में मध्यस्थता की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य प्रगतिशील देशों में, उनलोगों ने महसूस किया है और हमने भी महसूस किया है कि वाणिज्य मामलों के निपटारे न्यायालय में नहीं होना चाहिए.. इसके लिए वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली की जरूरत है।
उन्होंने कहा, मध्यस्थता के जरिये किसी भी विवाद के निपटारे में न्यूनतम हस्तक्षेप और अधिकतम निपटारे के सिद्धांत पर अमल किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, देश को विदेशी निवेशकों के बीच इस बात का भरोसा कायम करना होगा कि यहां अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की काफी अच्छी व्यवस्था है।