जापान के हिंद-प्रशांत नीति के केंद्र में भारत : राजदूत
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर (आईएएनएस)| भारत में जापान के राजदूत केनजी हिरामात्सू ने जापान के रणनीतिक मुद्दे का प्रशांत महासागर से परिवर्तित होकर भारत व हिंद महासागर स्थांतरित होने पर जोर देते हुए कहा कि उनके देश ने भारत को हिंद-प्रशांत नीति के केंद्र में रखा है।
हिरामात्सू ने शुक्रवार को थिंक टैंक सोसाइटी ऑफ पॉलिसी और इंडिया हैबिटेट सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चेंजिंग एशिया लेक्चर सीरीज के अंतर्गत ‘एशिया की बदलती भूराजनीति का जापानी परिप्रेक्ष्य’ शीर्षक पर चर्चा के दौरान कहा, एशिया का भूराजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। हम प्रशांत महासागर को केंद्र में रखकर चर्चा किया करते हैं, लेकिन अब ध्यान भारत और हिद महासागर की ओर स्थांतरित हो गया है।
उन्होंने कहा, हमलोग अब इस क्षेत्र पर रणनीतिक चर्चा करते हैं, जोकि एशिया से अफ्रीका तक फैला हुआ है। हम इस भूराजनीतिक परिदृश्य में भारत को मध्य में रखते हैं।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा इस वर्ष दिसंबर में भारत की यात्रा को विशेष और अद्वितीय बताते हुए उन्होंने कहा, द्विपक्षीय संबंध अपने चरम पर है और सभी स्तरों पर आवश्यक बातचीत की जा रही है।
भारत को अपना प्रमुख सहयोगी मानने के कारणों के बारे में बताते हुए हिरमात्सू ने कहा कि दोनों देश लोकतंत्र, खुलेपन व कानून के शासन की महत्ता को मानते हैं।
कानून के शासन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की उपस्थिति ‘प्रशंसा के योग्य’ है।
उन्होंने कहा, मैं विवाद के समय परस्पर स्वीकार्य समाधान पाने के लिए कूटनीतिक तरीके से बातचीत करने के भारत के रवैये की सराहना करता हूं। यही कारण है कि भारत जापान का अत्यावश्यक साथी है।
एशिया की ओर भूराजनीति स्थांतरित होने के उन्होंने तीन कारण बताए।
उन्होंने कहा, पहला कारण है, वैश्विक शक्ति का संतुलन बदल रहा है और यह ज्यादा डायनेमिक और जटिल हो गया है। एशिया की रणनीतिक स्थिति क्षेत्र में उभरती शक्ति के साथ वैश्वीकृत और परस्पर संबद्ध हो गई है।
राजदूत ने कहा, दूसरा कारण है, क्षेत्र में उत्तर कोरिया, दक्षिण चीन सागर, आतंकवाद जैसे मुद्दे से वहां लगातार अनिश्चितता बढ़ रही है। तीसरा कारण है, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा की महत्ता बढ़ रही है, जहां समुद्री लेन अफ्रीका महाद्वीप से जापान तक है और यह वैश्विक स्तर पर शांति व समृद्धि के लिए अतिमहत्वपूर्ण है।