‘कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथ से अलग कर सकता है खेल’
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)| सुरक्षा बलों पर पथराव करते हुए वायरल हुई फोटो पर विवादों में घिरी एक महिला फुटबाल खिलाड़ी का कहना है कि खेलों के माध्यम से कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथ से दूर किया जा सकता है।
23 वर्षीय अफशान आशिक की सुरक्षा बलों पर पथराव करते खींची गई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसके बाद उन्हें पत्थर फेंकने वाली महिला करार दिया गया।
अफशान ने कहा कि कश्मीर के युवाओं को खेलों से जोड़ने और खेलों की सुविधाओं को बेहतर करने से राज्य में काफी अंतर आएगा। इस राज्य में 65 प्रतिशत आबादी वाले लोग 30 साल से कम उम्र के हैं।
फुटबाल खिलाड़ी चाहते हैं कि युवा कश्मीरी अधिक से अधिक खेलों से जुड़ें और अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढे।
कश्मीर के युवाओं पर एक ओर क्रिकेट खिलाड़ी परवेज रसूल, मुक्केबाज तजामुल इस्लाम, बॉलीवुड अभिनेत्री जायरा वसीम और दूसरी ओर आतंकवादी जाकिर मुसा और मारे गए कमांडर बुरहान वानी के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर अफशान ने कहा कि इन प्रभावों में सकारात्मकता को ढूंढने की मुश्किल से केवल खेल ही उभार सकते हैं।
राजधानी दिल्ली के दौरे पर आईं अफशान ने आईएएनएश से कहा, कश्मीर में अच्छी प्रतिभाएं हैं। अगर इन्हें खेलों की ओर प्रेरित किया जाता है, तो अच्छा होगा। इससे हमारी समस्याएं सुलझ सकती हैं। इस प्रकार से हमारा राज्य अच्छे खिलाड़ियों के लिए जाना जाएगा।
पत्थर फेंकने वाली महिला से फुटबाल खिलाड़ी बनने के सफर के बारे में अफशान ने कहा कि वह ऐसे काम नहीं करती हैं, लेकिन एक पुलिस कर्मी द्वारा उनके तथा उनकी महिला साथी के साथ किए गए गलत व्यवहार के कारण वह ऐसा करने पर मजबूर हो गईं थीं।
अफशान ने कहा, मैंने दूसरी लड़कियों के साथ मिलकर पुलिस वालों पर पत्थर फेंके और मुझे इस पर कोई पछतावा नहीं है।
उन्होंने कहा, हम कुछ लड़कियों का एक समूह साथ मिलकर जा रहे थे, जब पुलिस कर्मियों ने हमें प्रदर्शकारी समझने की गलती की। मैनें उन्हें बताया कि हम खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्होंने हमें अपशब्द कहने शुरू कर दिए और हम में से एक को थप्पड़ भी मारा। इससे हम अपना धीरज खो बैठे और हमने इसका जवाब दिया।
अफशान ने कहा कि वहां कोई भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी, जो महिलाओं से बात करे। लड़कियों को यह पता होना चाहिए कि वे कमजोर नहीं हैं और इसलिए, उन्होंने इसका विरोध करते हुए पत्थर फेंका।
अफशान ने 22 सदस्यीय महिला फुटबाल टीम के साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि लड़कियां अब आगे बढ़कर अपनी साथियों के लिए एक उदाहरण खड़ा कर रही हैं।
अफशान ने एक फुटबाल क्लब का निर्माण किया, जिसने उनके राज्य में महिालाओं के जीवन को सुधारने में अहम भूमिका निभाई।
लिंगभेद के खिलाफ अफशान की प्रेराणात्मक कहानी का सफर इतना आसान भी नहीं था। उनके परिवार तथा समाज में कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने उन्हें बार-बार यह बताकर कमजोर करने की कोशिश की कि वह एक लड़की हैं और खेल केवल लड़कों के लिए होता है।
अफशान ने कहा, मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की। मैंने उन्हें बताया कि मेरी रुचि पढ़ाई के बजाए खेलों में है।
अफशान ने शुरुआत क्रिकेट से की थी, लेकिन वह इसमें आगे नहीं बढ़ पाई। राज्य की महिला क्रिकेट टीम में उन्हें प्रवेश नहीं मिला। हालांकि, इससे हार न मानते हुए उन्होंने फुटबाल को अपना करियर बनाया और पिछले पांच साल से फुटबाल खेल रही हैं।