कोपर्डी दुष्कर्म मामले के 3 दोषियों को मृत्युदंड
अहमदनगर (महाराष्ट्र), 29 नवंबर (आईएएनएस)| महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपार्डी गांव में जुलाई 2016 में 15 साल की किशोरी के साथ दुष्कर्म और उसके बाद उसकी हत्या किए जाने के मामले में यहां एक विशेष अदालत ने तीनों दोषियों को बुधवार को मृत्युदंड सुनाया है।
विशेष लोक अभियोजक, उज्जवल निकम ने फैसले के बाद मीडिया को बताया कि दोषियों -जितेंद्र उर्फ पप्पू बाबूलाल शिंदे (26), संतोष गोरखा भवाल (30) और नितिन गोपीनाथ भैलुमे (28) को दुष्कर्म, साजिश, हत्या और अन्य अपराधों के लिए मृत्युदंड सुनाया गया है।
अहमदनगर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुवर्ण केओले ने 18 नवंबर को तीनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। उन्होंने बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच खचाखच भरी अदालत में बाल यौन अपराध सुरक्षा (पोस्को) अधिनियम के तहत तीनों को सजा सुनाई।
न्यायाधीश ने दोषियों को बंबई उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति दी है।
भवाल के वकीलों -बालासाहेब खोपाड़े और विजयलक्ष्मी खोपाड़े- ने आईएएनएस से कहा, हम उच्च न्यायालय में सिर्फ फैसले के खिलाफ ही नहीं, बल्कि पूरी सुनवाई, खामियों और अन्य मुद्दों को भी चुनौती देंगे। हम पहले ही सत्र न्यायालय के समक्ष लिखित बयान दर्ज करा चुके हैं।
गौरतलब है कि 13 जुलाई, 2016 को तीनों दोषियों ने अहमदनगर जिले के करजत तालुका के कोपार्डी गांव में 15 साल की किशोरी के साथ मिलकर दुष्कर्म किया था और उसके बाद उसकी हत्या कर दी थी। इस घटना से महाराष्ट्र में राजनीतिक भूचाल आ गया था।
पीड़िता की मां ने अदालत कक्ष के बाहर कहा, आखिरकार, न्याय मिल गया। मेरी बेटी कभी वापस नहीं लौटेगी। यह मेरी बेटी को असली श्रद्धांजलि है। हम उज्ज्वल निकम साहब के शुक्रगुजार हैं।
निकम ने कहा, मुख्य आरोपी शिंदे को उत्पीड़न, दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है और साथ में जुर्माना भी लगाया गया है। जबकि दो अन्य भवाल और भैलुमे को शिंदे को उकसाने, षडयंत्र रचने और अपराध में सहयोग देने के लिए सजा सुनाई गई है।
इस फैसले को राजनीतिक गलियारे में सराहा जा रहा है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस मामले की सुनवाई को रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया गया और इसे सभी दुष्कर्मियों के लिए चेतावनी के तौर पर पेश किया जाएगा।
विपक्ष के नेता राधाकृष्णन विखे पाटील (कांग्रेस) ने कहा, आखिरकार न्याय मिल गया।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि 2012 के निर्भया मामले के बाद संप्रग सरकार द्वारा लागू कानून में बदलाव की वजह से सुनवाई इतने जल्द पूरी हो पाई।
एमआईएमआईएम विधायक इम्तियाज जलील ने मांग की कि दुष्कर्मियों को सार्वजनिक स्थान पर लटका देना चाहिए और इसका सीधा प्रसारण होना चाहिए, जैसा कि कुछ अरब देशों में होता है।
कई नेताओं ने मांग की कि इस फैसले को प्राथमिकता के आधार पर बंबई उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की पुष्टि के लिए लाया जाना चाहिए और निचली अदालत की सजा को बरकरार रखा जाना चाहिए।
अभियोजन ने 11 महीनों में 31 गवाहों की गवाही दर्ज की, जबकि बचाव पक्ष के वकील विजयलक्ष्मी खोपाड़े ने एक गवाह की गवाही ली।
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री (भाजपा) पंकजा मुंडे, महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रत्नाकर, शिवसेना की महिला नेता नीलम गोरहे, राकांपा नेता अजीत पवार और विद्या चौहान और पुणे की महिला कार्यकर्ता तिरुपति देसाई ने इस फैसले का स्वागत किया है।
अभियोजन पक्ष का कहना है कि मुख्य आरोपी शिंदे ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या की, जबकि दो अन्य भवाल और भैलुमे ने इस अपराध की साजिश रची।
बचाव पक्ष के वकीलों -योहन मकसारे, खोपाड़े द्वय और प्रकाश अहीर- का कहना है कि उनके मुवक्किलों को झूठे मामले में फंसाया गया है।