राष्ट्रीय

उच्च न्यायालय ने अमेरिकी पोत के सभी 35 सदस्यों को किया रिहा

चेन्नई, 27 नवंबर (आईएएनएस)| मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने सोमवार को एमवी सीमैन गार्ड ओहियो के चालक दल के सभी 35 सदस्यों को रिहा कर दिया है। यह फैसला अभियोजन पक्ष द्वारा यह आरोप साबित करने में विफल रहने के बाद सुनाया गया है कि पोत और उसके चालक दल के सदस्य गैर लाइसेंसी हथियार के साथ भारतीय जल सीमा में थे। एक वकील ने यह जानकारी दी।

पोत के भारतीय चालक दल के सदस्यों के वकील पी. मुथुस्वामी ने यहां से 500 किलोमीटर दूर मदुरै से आईएएनएस को बताया, अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा, जिस कारण अदालत ने उन्हें मुक्त करने का फैसला सुनाया। यह ज्ञात नहीं है कि अभियोजन पक्ष फैसले के खिलाफ अपील करेगा या नहीं।

इसके साथ ही, अदालत ने तुतिकोरिन अदालत द्वारा 2016 में दिए गए सजा के फैसले को अलग रखा है, जिसमें 2013 में भारतीय जल सीमा में अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए अमेरिकी पोत पर तैनात चालक दल के 10 सदस्यों और 25 सुरक्षा गाडरें को पांच साल की सजा सुनाई गई थी।

उनमें से प्रत्येक के ऊपर 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। मुथुस्वामी ने कहा कि भुगतान किया गया जुर्माना वापस किया जाएगा।

पश्चिमी अफ्रीकी देश सिएरा लियोन का झंडा लगाए अमेरिकी कंपनी एडानफोर्ट के स्वामित्व वाला पोत सीमैन गार्ड ओहियो, साल 2013 के अक्टूबर में एक रात को भारतीय जल सीमा पाया गया था। यह पोत तुतीकोरिन बंदरगाह से 15 समुद्री मील की दूरी पर था।

भारतीय तट रक्षक पोत को तुतिकोरिन बंदरगाह ले गए थे, जो चेन्नई से लगभग 600 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

तटरक्षक ने बताया कि चालक दल में आठ भारतीय और दो यूक्रेनियन शामिल हैं जबकि पोत पर सुरक्षा गार्ड के रूप में चार भारतीय, छह ब्रिटिश, 14 एस्टोनियाई, एक यूक्रेनी शामिल है। सभी को बिना वैध दस्तावेजों के हथियार और गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार किया गया था।

राज्य पुलिस ने यह भी आरोप लगाया था कि पोत ने निजी स्रोतों के जरिए अवैध रूप से 1500 लीटर डीजल प्राप्त किया था।

पोत के मालिक एडवानफॉर्ट समुद्री डाकू के खिलाफ समुद्री सुरक्षा प्रदान करने में विशेषज्ञ हैं।

भारतीय तट रक्षक द्वारा पोत को तुतिकोरिन बंदरगाह पर ले जाने के बाद, उसमें सवार लोगों से विभिन्न सुरक्षा विभागों और एजेंसियों के अधिकारियों ने पूछताछ की थी।

मद्रास उच्च न्यायालय ने 2014 में चालक दल और सशस्त्र रक्षकों के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया था, लेकिन पोत के कप्तान और ईंधन विक्रेताओं के खिलाफ आरोपों की फिर से पुष्टि की थी।

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