NDA परीक्षा का टॉपर बना उत्तराखंड का ये बेटा,97% अंक हासिल कर किया नाम रोशन
देहरादून। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की एंट्रेस एग्जाम और इंटरव्यू के बाद देशभर से चुने गए 371 युवाओं में रामनगर के बेटे ने टॉप किया है।
रविवार को घोषित परिणाम में रामनगर के शिवांश जोशी परीक्षा में टॉपर रहे हैं। शिवांश ने 97 प्रतिशत अंक हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया हैं।
उन्होंने इसी साल लिटिल स्कॉलर स्कूल से 12वीं की परीक्षा 96.8 फीसदी अंकों से पास की थी। खास बात यह है कि शिवांश ने यह उपलब्धि बिना कोचिंग क्लास किए ही हासिल की है। बेटे की इस कामयाबी से परिवारवाले काफी खुश हैं और घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
भारतीय जीवन बीमा निगम के हल्द्वानी मंडल कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी संजीव जोशी और चिल्किया प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक तनुजा जोशी के बेटे शिवांश (17) का बचपन से ही सेना में जाने का सपना था।
उन्होंने 24 अप्रैल को एनडीए की प्रवेश परीक्षा दी थी और उसमें सफल होने का पूरा भरोसा था। शिवांश ने बताया कि उनका चयन एनआईटी त्रिचिनापल्ली (तमिलनाडु) के लिए भी हुआ था, लेकिन फौज में जाने की चाहत रखने के चलते वह वहां नहीं गए।
वह तीन महीने से एनडीए परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी के क्रम में अपनी अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान में व्यापक सुधार किया है। स्कूल से भी उन्हें इसके लिए पूरा सहयोग दिया गया।
शिवांश के अनुसार एनडीए की परीक्षा को लोगों ने हौव्वा बनाकर रख दिया है, लेकिन छात्रों का आत्मविश्वास मजबूत होना चाहिए। कड़ी मेहनत का जज्बा भी होना चाहिए। इससे हम आसानी से किसी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
बधाई देने वालों की लगी लाइन
शिवांश के घर रामनगर के मोहल्ला भवानीगंज स्थित पंचवटी कॉलोनी में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उनका छोटा भाई प्रियांश भी लिटिल स्कॉलर स्कूल में आठवीं का छात्र है। शिवांश ने बताया कि ट्रेनिंग के लिए वह तीन साल पुणे में रहेंगे। उसके बाद एक साल के लिए देहरादून आईएमए में उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।
इंटरव्यू में ये सवाल पूछे गए
शिवांश के अनुसार इंटरव्यू इलाहाबाद बोर्ड में हुआ। इसमें प्रदेश की 12 खास चीजों के बारे में पूछा गया था। वह फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी हैं। यह जानकारी जब बोर्ड के सदस्यों को हुई तो उन्होंने फुटबाल के नियमों से संबंधित कई सवाल पूछ डाले। क्षेत्र और राज्य से भी संबंधित कई सवाल पूछे गए थे।
एक सवाल के जवाब में शिवांश ने बताया कि उन्होंने इंटर तक कभी भी मोबाइल का उपयोग नहीं किया था। इंटरमीडिएट पास होने के बाद ही उन्हें मोबाइल दिया गया, लेकिन इसके बाद भी वह मोबाइल से दूर रहे। शिवांश ने कामयाबी में अमर उजाला को भी श्रेय दिया। उनका कहना है कि वह बचपन से ही अमर उजाला पढ़ते रहे हैं। संपादकीय पेज, देश विदेश और खेल पेज उसका पसंदीदा रहा है।