राष्ट्रीय

‘स्टोरीज ऑफ डेजर्ट’ में दिखेगा मरुस्थल का जीवन चित्रण

नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)| भारतीय कला एवं संस्कृति की छवि को प्र्दशित करते ‘स्टोरीज ऑफ डेजर्ट’ (मरुभूमि की कहानियां) समारोह में राजस्थान के ग्रामीण आकर्षण-थार का सांसारिक जीवन, मरुभूमि के लोगों का सरल जीवन, क्षेत्र के खूबसूरत रंग, यहां के गीत और संगीत तथा कई लोगों के लिए कौतूहल बनी यहां की खुशबू की झलक देखने को मिलेगी। इस कार्यक्रम के तहत जाने-माने इतिहासकार और लेखक विलियम डेलरिंपल भारत की ‘अतुलनीय महक संस्कृति’ पर परिचर्चा करेंगे। एक समय यह विश्व में काफी प्रसिद्ध हुआ करती थी लेकिन अब यह संस्कृति लगभग विलुप्त हो चुकी है।

‘स्टोरीज ऑफ डेजर्ट’ का आयोजन सहपीडिया और रूपायन संस्थान द्वारा 2 दिसंबर को किया जाएगा।

रूपायन संस्थान के सचिव और दिवंगत कोमल कोठारी के पुत्र कुलदीप कोठारी ने कहा, ज्यादातर लोगों के लिए राजस्थान की छवि शाही जीवनशैली और आलीशान किलों के रूप में बनी हुई है और वे यहां की ऐतिहासिक इमारतों तथा संस्थानों से ही वाकिफ हैं। लेकिन अरनाझरना दुनिया को राजस्थान की इससे इतर भी एक अलग तस्वीर दिखाने का एक प्रयास है- जिसमें घुमंतू गड़रियों, थार की पृष्ठभूमि में लोक गायकों, शिल्पकारों की जीवनशैली, उनके गीतों, मिथकों एवं मान्यताओं, दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं की झलक मिलती है जो विश्व के इस हिस्से की विशेषता है।

सहपीडिया की कार्यकारी निदेशक डॉ. सुधा गोपालाकृष्णन ने कहा, महान मौखिक इतिहासकार कोठारी और विख्यात कथाकार देथा ने एक सराहनीय बौद्धिक भागीदारी की है। रूपायन का संग्रहालय और इसका संग्रहण कार्य इस विषय के प्रति इसके जज्बे और इसके अथाह ज्ञान को दर्शाता है।

‘स्टोरीज ऑफ द डेजर्ट’ में प्रवेश नि:शुल्क रखा गया है लेकिन इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है। इसके पास जोधपुर, पौउटा स्थित रूपायन संस्थान के कार्यालय या 15 ए.डी. बेकरी के सभी आउटलेट्स तथा दिल्ली स्थित सहपीडिया कार्यालय पर उपलब्ध हैं। पंजीकरण कराना संभव है और पास पहले आओ पहले पाओ के आधार पर जारी किए जा रहे हैं।

यह कार्यक्रम 2 दिसंबर अपराह्न 3.30 बजे से शुरू होगा।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close