एचआरडब्ल्यू ने इंडोनेशियाई सुरक्षा बलों में कौमार्य परीक्षण की निंदा की
जकार्ता, 22 नवंबर (आईएएनएस)| मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने बुधवार को इंडोनेशियाई सेना और पुलिस में महिला आवेदकों के कौमार्य परीक्षण के लगातार जारी रहने की निंदा की।
समाचार एजेंसी एफे न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, कौमार्य परीक्षण, जिसे टू-फिंगर टेस्ट भी कहा जाता है, की एचआरडब्ल्यू 2014 में पहले ही निंदा कर चुका है। एचआरडब्ल्यू ने इस परीक्षण को क्रूर, अपमानजनक और भेदभावपूर्ण बताया था। हालांकि, कुछ सैन्य और पुलिस अफसर इस परीक्षण को नैतिक और मानसिक स्वास्थ्य कारणों से उचित ठहराते रहे हैं।
एचआरडब्ल्यू की वूमेन राइट्स एडवोकेसी डॉयरेक्टर निशा वरिया ने कहा, सुरक्षा बलों द्वारा किए जाने वाले अपमानजनक ‘कौमार्य परीक्षण’ को इंडोनेशियाई सरकार द्वारा सहन किया जाना इंडोनेशियाई महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए राजनीतिक इच्छा की एक भयावह कमी को दर्शाता है।
न्यूयॉर्क स्थित संगठन के मुताबिक, सशस्त्र बलों के कई अधिकारियों का मानना है कि परीक्षण यह निर्धारित करता है कि संभावित नई सदस्य गर्भवती है या नहीं।
एचआरडब्ल्यू ने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो से आग्रह किया है कि वे इस परंपरा को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप करें। यह परीक्षण नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय संविदा के अनुच्छेद 7 और अत्याचार के खिलाफ संधि के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन करता है। इन दोनों संधियों पर इंडोनेशिया के भी हस्ताक्षर हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने मिस्र, भारत और अफगानिस्तान जैसे कुछ अन्य देशों में भी सुरक्षा बलों के अंदर कौमार्य परीक्षण के कुछ मामलों को दर्ज किया है।