राष्ट्रीय

पाटीदार नेता हार्दिक का कांग्रेस को समर्थन का वादा

अहमदाबाद, 22 नवंबर (आईएएनएस)| पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने बुधवार को आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का वादा किया। पाटीदार नेता ने इस समर्थन की घोषणा कांग्रेस द्वारा पटेल समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत नौकरियों में आरक्षण देने के वादे के बाद की है। यहां खचाखच भरे संवादाता सम्मेलन में हार्दिक ने इसकी घोषणा पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) की तरफ से की। हार्दिक ने कहा कि पीएएएस औपचारिक रूप से कांग्रेस द्वारा दिए गए ‘व्यावहारिक फार्मूले’ को स्वीकार कर रही है।

पटेल ने कहा, कांग्रेस ने हमारे आरक्षण की मांग को एक फार्मूले के साथ स्वीकार कर लिया है। इसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व ओबीसी के मौजूदा 49 फीसदी आरक्षण में बगैर छेड़छाड़ के संवैधानिक तौर पर पटेल समुदाय को ओबीसी के समकक्ष फायदे दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा, हम कांग्रेस पार्टी के फार्मूले को स्वीकार कर रहे हैं।

हार्दिक पटेल ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उस आरोप को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें कांग्रेस का एजेंट बताया गया है।

उन्होंने कहा, कांग्रेस ने हमारी मांग मान ली है, हालांकि वह विपक्ष में है और उन्होंने इसे अपने घोषणा-पत्र में शामिल करने का भी वादा किया है।

उन्होंने कहा, इस हालात में जब भाजपा हमारे युवाओं को प्रताड़ित कर रही है और देशद्रोह सहित झूठे मामलों में फंसा रही है, तो कांग्रेस का समर्थन करने में कुछ भी गलत नहीं है।

उन्होंने कहा, भाजपा को मुझे कांग्रेस का एजेंट कहने दीजिए। मैं जनता के सिवाय किसी का एजेंट नहीं हूं। भाजपा गुजरात की जमींदार नहीं है, छह करोड़ लोग राज्य के मालिक हैं।

हार्दिक ने कहा कि कांग्रेस ने कहा है कि यदि वह गुजरात चुनाव जीतती है तो वह संविधान की धारा 31-सी व 46 के तहत आरक्षण का एक प्रस्ताव पारित करेगी।

उन्होंने कहा कि संविधान में कही नहीं कहा गया है कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने सिर्फ इस पर सुझाव दिए हैं। संविधान में ऐसा कोई कानून या प्रावधान नहीं है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सभी हितधारकों से बात करनी चाहिए और एक अलग आयोग बनाना चाहिए।

पटेल ने कहा, कांग्रेस ने वादा किया है कि ओबीसी आयोग के प्रावधानों के अनुरूप वह पटेल समुदाय या किसी अन्य अगड़ी जाति का सर्वेक्षण कराएगी और आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक या रोजगार मानकों को आधार बनाकर पटेल समुदाय या अन्य अगड़े समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा।

उन्होंने दावा किया कि 1994 से गुजरात सहित बहुत से राज्यों ने 50 फीसदी से परे जाकर आरक्षण दिया है और तमिलनाडु व कर्नाटक जैसे राज्यों में 15 से 17 सालों से आरक्षण है।

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