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पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी का निधन

नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी का सोमवार को निधन हो गया। वह 72 साल के थे और 2008 से ही कोमा में थे। दासमुंशी ने अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली।

अपोलो अस्पताल ने अपने एक बयान में कहा, उनका निधन सोमवार को 12.10 बजे हुआ। पिछले एक माह से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी।

उनके परिवार में उनकी पत्नी दीपा दासमुंशी और बेटा प्रियदीप दासमुंशी हैं। दासमुंशी के निधन के समय दोनों उनके पास ही थे।

दासमुंशी को 2008 में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था और उन्हें एम्स अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसके बाद उन्हें 2009 में उनके घर शिफ्ट कर दिया गया।

कुछ समय बाद ही दासमुंशी को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्ट्रोक के कारण उनका शरीर लकवे का शिकार हो गया और वह कुछ भी बोल पाने में असमर्थ थे। उनके मष्तिष्क तक खून पहुंचना बंद हो गया था।

दासमुंशी 1999 से 2009 तक संसद के सदस्य थे। मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 2004 से 2008 तक संसदीय मामलों के मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में सेवा दी।

दासमुंशी ने पश्चिम बंगाल में रायगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उनकी पत्नी दीपा ने इसका प्रतिनिधित्व किया। साल 2014 में तृणमूल कांग्रेस ने दासमुंशी के भाई सत्यराजन दासमुंशी को उनकी पत्नी के खिलाफ उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया था।

दासमुंशी ने अपना राजनीतिक करियर भारतीय युवक कांग्रेस के साथ शुरू किया था। साल 1971 में उन्होंने संसद में प्रवेश किया था।

कांग्रेस समर्थकों में दासमुंशी की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी सेहत की स्थिति को देखने के बावजूद उनका नाम पिछले साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बनी प्रचार अभियान समिति के 90 सदस्यों में शामिल था।

दासमुंशी का देश में फुटबाल के प्रचार-प्रसार में काफी योगदान रहा। वह करीब दो दशक तक आल इंडिया फुटबाल फेडरेशन (एआईएफएफ) के प्रमुख रहे।

दासमुंशी साल 2006 में फीफा विश्व कप में मैच कमिश्नर का पद हासिल करने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और क्रोएशिया के बीच खेले गए ग्रुप स्तर के मैच में इस पद की जिम्मेदारी संभाली थी।

साल 2008 में स्ट्रोक आने के समय तक वह भारतीय फुटबाल निकाय के अध्यक्ष थे। उसके बाद यह पद प्रफुल पटेल को सौंपा गया।

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