राष्ट्रीय

‘छात्रों को सिखाएं उद्यमशीलता के गुर’

नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)| अंतर्राष्ट्रीय संगठन अशोका के दक्षिण एशिया के निदेशक यशवीर सिंह ने भारत में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए छात्रों को स्कूल से ही इसके गुर सिखाए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि छात्रों को अपने अंदर उद्यमशीलता के गुर विकसित करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए, ताकि देश में जगह-जगह नए उद्यमियों का विकास हो सके और वे विश्व में उद्यमशीलता के मंच पर देश का प्रतिनिधित्व कर सकें।

अशोका के दक्षिण एशिया के लिए इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक (यूथ वेंचर) के निदेशक यशवीर ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, एंटरप्रिन्योरशिप (उद्यमशीलता) को अक्सर लोग केवल व्यवसाय से संबंधित मानते हैं, जबकि उद्यमशीलता नए विचारों को पहचानने, विकसित करने और उन्हें वास्तविक स्वरूप प्रदान करने की प्रक्रिया है। यह केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं, बल्कि इसकी समाज में एक बहुत बड़ी भूमिका है, जहां युवा पीढ़ी उद्यमशीलता के गुरों से समाज में परिवर्तन ला सकती है।

उन्होंने कहा, हमारा ध्यान युवा पीढ़ी के अंदर उद्यमशीलता के गुरों को विकसित करना है, ताकि वह समाज में चेंजमेकर का किरदार अदा कर सकें।

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा हाल ही में ग्रेटर नोएडा में आयोजित 13वें उच्च शिक्षा सम्मेलन-2017 के दौरान अशोका ने शिक्षण संस्थानों, शिक्षकों और अभिभावकों को अपनी युवा पीढ़ी को चेंजमेकर्स (परिवर्तनकर्ता) बनाने पर जोर दिया था।

उद्यमशीलता व शिक्षा के तालमेल के सवाल पर यशवीर कहते हैं, भारत की शिक्षा व्यवस्था पर अगर आप ध्यान देंगे तो आपको पता चलेगा कि यहां बहुत से कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में कई ऐसे कोर्स (पाठ्यक्रम) संचालित हो रहे हैं, जो तीस साल पहले पढ़ाए जाते थे। बाजार में रोजगार की प्रणाली में बदलाव आया है, जबकि संस्थानों के पाठ्यक्रम और प्रणाली आज भी तीस साल पुरानी है। हमारा मानना है कि उद्योगों के साथ मिलकर स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को रोजगार की मांग के अनुरूप शिक्षा को बाजार उन्मुख बनाना चाहिए।

फिक्की शिक्षा सम्मेलन से जुड़ने के सवाल पर यशवीर कहते हैं, उच्च शिक्षा सम्मेलन उच्च शिक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का उत्कृष्ट मंच है। चूंकि आज की युवा पीड़ी ही देश के भविष्य का निर्माण करेगी, इसलिए यहीं से उनके अंदर चेंजमेकर का गुर डालना उनकी बुनियाद को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम होगा।

उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, नवाचार की दिशा में काम करने के लिए आपको अपने आसपास के लोगों के साथ और उन्हें समझने की जरूरत है, जो वास्तव में एक गुर और एक कौशल है जिसे छात्रों के अंदर शुरू से ही समायोजित करना चाहिए, तभी स्टार्टअप इंडिया और कौशल विकास योजना जैसे कार्यक्रम वास्तव में सफल हो पाएंगे।

इस तरह के सम्मेलन छात्रों पर क्या प्रभाव डाल सकते हैं, इस पर यशवीर ने कहा, कॉलेजों में छात्र जब जाते हैं, तो उन्हें वही चीज और उसी तरीके से पढ़ाया जाता है जो उस संस्थान के पहले के छात्रों ने पढ़ा होता है, जबकि ऐसे सम्मेलन में छात्रों को परंपरा से हटके कुछ नया सीखने को मिलता है। वह जब यहां आते हैं तो अन्य संस्थानों के छात्रों व शिक्षकों से बात करते हैं, तो उनके सामने सीखने का नया मार्ग खुलता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि अगर किसी छात्र की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी नहीं लगी, तो क्या उसके अंदर उद्यमशीलता का गुर है, जिसके जरिए वह खुद अपने लिए मार्ग खोल सकें। अगर उनके अंदर पहले से यह कौशल होगा, तो वह मंदी जैसे विकट सामाजिक संकट में भी खुद के साथ ही समाज की भी मदद कर पाएंगे।

अमेरिका के वर्जीनिया स्थित अशोका संगठन ने पिछले 35 वर्षो में 93 देशों के 3,300 से अधिक उद्यमियों का समर्थन किया है, जो समाज के सबसे जटिल मुद्दों का समाधान करने में सक्षम थे।

अशोका के बारे में यशवीर कहते हैं, अशोका का सिद्धांत है कि इस दुनिया में हर कोई चेंजमेकर है, बस उसे अपने अंदर के इस गुर को पहचानने की जरूरत है। अशोका सामाजिक उद्यमियों को संगठन में शामिल कर रहा है। इसका लक्ष्य वैश्विक, उद्यमी, प्रतिस्पर्धी नागरिक वर्ग को आकार देने का है, जिससे सामाजिक उद्यमियों को फलने-फूलने और चेंजमेकर की तरह सोचने व काम करने का अवसर मिल सके।

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