2018 में निर्देशन में वापसी करेंगे विशेष भट्ट
नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)| मुकेश भट्ट के बेटे विशेष भट्ट ने 2013 में ‘मर्डर-3’ से अपने निर्देशन करियर की शुरुआत की थी लेकिन उसके बाद उन्होंने अपना ध्यान फिल्म निर्माण पर केंद्रित कर लिया। उन्होंने कहा है कि उनके पिता ने उनमें फिल्म का निर्देशन करने का जज्बा दोबारा से जगाया और वह अगले साल फिर से निर्देशक की कुर्सी संभालेंगे।
कई फिल्म निर्माताओं और लेखकों के साथ काम कर चुके विशेष ने एक ई-मेल साक्षात्कार के जरिए आईएएनएस को बताया, मैं उन विषयों को अंतिम रूप देना चाहता हूं जो मुझे फिल्म बनाने के लिए चुनौती और उत्साहित करत हैं।
उन्होंने कहा, मेरे पास कुछ अच्छे विषय हैं और मैं उनका अध्ययन कर रहा हूं। मुझे मेरे दोस्तों और पिता ने निर्देशन के लिए प्रेरित किया और मैं 2018-19 में यह कार्य करते हुए दिखूंगा।
विशेष ने ‘गैंगस्टर’, ‘जन्नत : इन सर्च ऑफ हेवेन’, ‘मिस्टर एक्स’, ‘राज रिबूट’ और ‘बेगम जान’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया है।
भविष्य की अपनी परियोजनाओं के बारे में उन्होंने कहा, मेरे पिता और चाचा (महेश भट्ट) फिल्म ‘सड़क’ के अगले भाग पर ध्यान दे रहे हैं। मैंने दो फिल्म परियोजानओं को लेकर उनसे बातचीत की है और इनकी घोषणा करना मेरे लिए जल्दबाजी होगा। लेकिन 2018 में यह परियोजनाएं शुरू हो जाएंगी।
विशेष फिल्म्स में वे रणनीति, कंटेंट डेवलपमेंट, रचनात्मकता और डिजिटल पहल जैसे कार्यों को देखते हैं। विशेष फिल्म्स में मुकेश भट्ट और उनके भाई महेश भट्ट सह मालिक हैं। इस बैनर ने रोहित रॉय, अनु अग्रवाल और जॉन अब्राहम जैसे अभिनेताओं को लॉन्च किया है।
विशेष ने कहा, कंटेंट विकसित हुआ है और अधिक शहरी बन गया है। लेखकों, पटकथाओं और अवधारणाओं पर गहरा ध्यान दिया जाने लगा है। इसके अलावा एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि हम प्रासंगिक कहानी के साथ फिल्मों के संगीत को भी ध्यान में रखते हैं। पहले के समय की तुलना में अब संगीत फिल्म की कहानियों में अच्छी तरह से मिश्रित हो रहा है।
विशेष को लगता है कि भारतीय सिनेमा को और अधिक कहानी सुनाने वालों और इस कंटेंट का प्रतिनिधित्व करने के लिए बहुत अधिक प्रतिभा वाले लोगों की जरूरत है।
उन्होंने चेताया कि देश में बाजार की शक्ति निराशाजनक रूप से धीमी है और दर्शकों के समक्ष विकल्पों को बेहतर ढंग से पेश करने के लिए नए कंटेंट और प्रतिभा के साथ कौशल या क्षमताओं का जोखिम लेने की क्षमता की भी कमी है।
उन्होंने कहा, हमारी स्वदेशी प्रतिभा को मीडिया और सरकार से बेहतर प्रोत्साहन और प्रशंसा की जरूरत है। हमें हमारे रचनात्मक विचारों की सुरक्षा और कई थिएटर की आवश्यकता है।