पिता स्टेडियम के बाहर बेचता है लंगोट, पहलवान बेटी जीतती हैं मेडल,पढ़ें रेसलर दिव्या की संघर्षगाथा
नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में पहली बार सीनियर वर्ग पर स्वर्ण पदक जीतने वाली दिव्या की कहानी बेहद प्रेरित करने वाली है। आइए दिव्या के बारे में हम आपको और बहुत सी बातें बताते हैं–––––
दिव्या काकरण जब काफी छोटी थीं तबसे ही उन्होंने उत्तर भारत के गांवों में होने वाले दंगल में हिस्सा लेते हुए कई लड़कों को धूल चटाई थी। उन्हें कामयाब बनाने के पीछे उनके मेहनतकश पिता सूरज का योगदान बेहद अहम रहा है।
दिव्या के पिता लंगोट विक्रेता हैं। जहां कहीं भी दिव्या कुश्ती खेलने जाती थी तो उसके पिता मैदान के बाहर बैठकर लंगोट बेचा करते थे। एक तरफ दिव्या अपने खेल का मुजाहिरा करतीं तो वहीं उसके पिता बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए लंगोट को तल्लीनता से बेचने में जुटे रहते।
पिता और बेटी की मेहनत रंग लाई और काफी सालों के बाद दिव्या अब भारत की होनहार युवा रेसलर बन गई हैं। बेटी की कामयाबी पर गर्व करते हुए सूरज ने बताते हैं– “मैंने पिछले कई सालों में ऐसे बहुत से पलों को मिस किया है जिनमें रेफरी द्वारा मेरी बेटी को विजेता घोषित किया गया है। मैं स्टेडियम के बाहर बैठकर लंगोट बेचता था। मेरी बेटी ही हमारा परिवार चला रही है। वह मैच जीतकर पैसे कमाती हैं और उसी से घर का खर्चा चल रहा है”।
शुक्रवार को नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में मेडल जीतने के बाद घर लौटी दिव्या का स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी में दो छोटे कमरों के एक मकान में रहने वाली दिव्या को उसके पिता ने पुरुष प्रभुत्व वाले इस खेल में इसलिए डाला ताकि घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा किया जा सके।
दिव्या की सोच कुश्ती के प्रति बेहद सरल है। कई बार बिना अपने कोच से सवाल किए दिव्या उनकी हर बात को मानती आई है, लेकिन नेशनल चैंपियनशिप से पहले उसने अपने कोच से सवाल किया था। उसने कोच से पूछा कि इस प्रतियोगिता में मैं कितने दूर तक जा सकती हूं? जवाब में दिव्या को कहा गया कि वह चैंपियनशिप का टाइटल जीत सकती है।
तब उसने खुद पर विश्वास करना शुरू किया। वह जान चुकी थी कि वह अपने सभी प्रतिद्वंदवियों को हरा सकती है। नेशनल चैंपियन बनने पर बात करते हुए दिव्या ने कहा “मैं हमेशा कुश्ती खेलती हूं, लेकिन इस मैच में मुझे 6 मिनट तक कुश्ती करनी थी और साथ ही स्कोर भी बनाना था ताकि सभी को पता चल सके कि मैं दोनों चीजें कर सकती हूं।
बाउट से पहले उल्टी हो गई थीं और मैं बहुत ही थका महसूस कर रही थी। शायद इसका कारण वजन में कमी आना था लेकिन मैं खुश हूं कि मैंने हार नहीं मानी और योजना के साथ मैच लड़ा और जीत हासिल की”।