Main Slideउत्तराखंड

‘तो इस कारण से राज्य को लग सकता है 700 करोड़ का चूना’

देहरादून। उत्तराखंड राज्य में विद्युत से जुड़े विभागों से हमेशा घपले व भ्रष्टाचार की दुर्गन्ध आती रही है। अभी शीघ्र में ही यूपीसीएल घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) के अधिकारी एक और बड़े घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश में हैं। बता दें कि ये घपला विभागाधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण हुआ है, जिसमें प्रदेश को करीब 700 करोड़ रुपये की चपत लगनी तय है।

पिटकुल (PTCUL) के कार्यालयों में बैठे अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता के चलते उत्तराखंड को लगभग 700 करोड़ रुपये से ज्यादा का अतिरिक्त भार पड़ने वाला है। बता दें कि ये मामला उत्तराखंड के श्रीनगर से काशीपुर तक जाने वाली 400 केवी की विद्युत लाइन से जुड़ा है। विभाग ने इस काम के लिए एक कंपनी को शोध का काम दिया था। कंपनी का सर्वे पूरा होने के बाद जब काम शुरू किया गया तो सर्वे पूरी तरह से फर्जी पाया गया।

सर्वे रिपोर्ट गलत पाए जाने के बाद भी विभाग के अधिकारियों ने कंपनी को लगभग 50 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान भी किया। प्रोजेक्ट के अनुसार, इस लाइन का काम साल 2016 में पूरा होना था, पर सर्वे कंपनी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण काम 2013 के बाद से आगे नहीं बढ़ा है। वैसे, विभाग ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर उसे केवल ब्लैकलिस्ट कर दिया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये पूरा प्रोजेक्ट एडीबी (एशियाई विकास बैंक) के बजट से होना था, जिसकी ग्रांट 90% थी। पर काम पूरा नहीं हो पाया इसलिए एडीबी ने भी इस प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की मंजूरी नहीं दी। लिहाजा अब इस पूरे प्रोजेक्ट का भार राज्य पर पड़ रहा है। सर्वे करने के लिए जब दूसरी कंपनी को काम दिया गया तो पता चला कि लाइन 90 किमी और बढ़कर लगेगी। यानि जो प्रोजेक्ट उस वक्त महज 530 करोड़ रुपये में पूरा हो रहा था, वो अब लगभग 700 करोड़ रुपये से ज्यादा पर पहुंच गया है।

इस मामले में विभागीय जांच तो शुरू की गई है, पर अबतक मामले में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी पर आफत नहीं आई है जबकि मामले को साल दर साल गुजरते जा रहे हैं। जांच में जिस अधिकारी का नाम बार-बार सामने आ रहा है, बताया जा रहा है कि उस अधिकारी को न केवल बचाने की कोशिश की जा रही है, बल्कि उसके सिर पर प्रमोशन का ताज भी कभी भी पहनाया जा सकता है।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close