राष्ट्रीय

स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए करार

बॉन, 12 नवंबर (आईएएनएस)| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेंट चेंज (यूएनएफसीसीसी) सचिवालय ने बढ़ते तापमान से सार्वजनिक स्वास्थ्य को उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने व जलवायु परिवर्तन से निपटने में देशों की दक्षता को बढ़ावा देने के लिए रविवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर बॉन में चल रही यूएन क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस (सीओपी23) के साथ सामने आया है और यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि कमजोर या अपर्याप्त बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देश मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सहयोग प्राप्त करें व जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे की प्रतिक्रिया के लिए खुद को मजबूत करें।

इस समझौते पर हस्ताक्षर इस बात को मान्यता देता है कि स्वास्थ्य की रक्षा टिकाऊ विकास का एक जरूरी स्तंभ है। इसमें सभी देशों व दूसरे प्रासंगिक हितधारकों के बीच हर संभव सहयोग की जरूरत है।

एक आधिकारिक बयान में यूएन क्लाइमेंट चेंज एग्जिक्यूटिव सेक्रेटरी पैट्रिशिया एस्पिनोसा ने कहा कि हमें खुशी है कि हमारे दो संस्थान हमारे रिश्ते को एक उच्च स्तर व अत्यधिक कार्रवाई उन्मुख स्तर पर ले जा रहे हैं। यदि हम एक स्वस्थ दुनिया व स्वस्थ नागरिक मौजूदा व आने वाले समय में सुनिश्चित करना चाहते हैं तो पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता को सभी हाथों के समर्थन की जरूरत है।

उन्होंने कहा, बहुत से लोगों को जलवायु परिवर्तन का असर अपने स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, वायु प्रदूषण, लू व जल के प्रदूषित होने व अत्यधिक प्रतिकूल जलवायु से मालूम होता होगा..यदि हम एक साथ कई साझेदारों के साथ दुनिया के जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं तो हम अरबों लोगों के स्वास्थ्य को बड़ी राहत पहुंचाने में अपनी भूमिका को निभा सकते हैं।

डब्ल्यूएचओ निदेशक जनरल तेडोस अदोनोम गिब्रेयेसस ने कहा, हमारे समय में जलवायु परिवर्तन सार्वजनिक स्वास्थ्य के सबसे बड़े खतरों में से एक है। हम सब आज जो मिलकर ठोस कार्रवाई करने के लिए काम कर रहे हैं, उसी पर भविष्य की पीढ़ियों का स्वास्थ्य निर्भर करता है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close