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झंडेवालान मंदिर में डीकंपोजर रोजाना 100 किलो फूलों को खाद में बदलेगा

नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)| लोकसभा सांसद मीनाक्षी लेखी ने गुरुवार को नई दिल्ली के पहाड़गंज स्थित प्रसिद्ध झंडेवालान देवी मंदिर में डीकंपोजर का आनावरण किया।

एंजेलिक फाउंडेशन ने मंदिर के प्रबंधन की निगरानी करने वाली चैरिटेबल सोयायटी बद्री भगत झंडेवालान मंदिर सोसायटी को स्वचालित जैविक अपशिष्ट डीकंपोजर दान दिया। यह डीकपंजोर रोजाना 100 किली फूलों को खाद में तब्दील करेगा। एंजेलिक फाउंडेशन ने फूलों और जैविक कचरे को इस्तेमाल योग्य खाद में डीकंपोज करने की सीएसआर पहल का समर्थन करने के लिए संसद सदस्य मीनाक्षी लेखी से संपर्क किया। मीनाक्षी लेखी इस पहल को प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत पहल के साथ जोड़ा और झंडेवालान देवी मंदिर में लागू करने की दिशा में पहल की।

झंडेवालान देवी मंदिर से रोजाना औसतन 50 किलो फूल और 10 किलो रसोई जैविक कचरे निकलते हैं और त्योहारों के अवसर पर इनकी मात्रा काफी बढ़ जाती है और करीब 100 किलो फूल और कचरे निकलते हैं।

डीकंपोजर फूलों को खाद में परिवर्तित करता है, जिससे किसी प्रकार का दरुगध पैदा नहीं होता है और शहर का अपशिष्ट प्रदूषण भी कम होता है। यह डीकंपोजर रोजाना 100 किलो फूलों को खाद में तब्दील कर सकता है। खाद का उपयोग मंदिर के चारों ओर हरे-भरे क्षेत्रों को उर्वर बनाने के लिए किया जाएगा।

डीकंपोजर को लांच करते हुए सांसद सदस्य (नई दिल्ली, लोकसभा) मीनाक्षी लेखी ने कहा, स्वछता को ध्यान में रखते हुए लिए गए इस कदम को देख कर आज मुझे बहुत प्रसन्ता हो रही है। मंदिर में सफाई होने से आने वाले भक्तों को तो सहूलियत होगी ही और साथ ही साथ मंदिर प्रसाशन को भी व्यस्था बनाने में सहयोग मिलेगा। मैं एंजेलिक फाउंडेशन को इस सफल प्रयास के लिए बधाई देती हूं

झंडेवालान सोसाइटी के सेक्रेटरी कुलभूषण आहूजा ने डीकंपोजर को लांच करते हुए कहा, हम एंजेलिक फाउंडेशन के बहुत आभारी हैं जिन्होंने मंदिर की सफाई और सहूलियत को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया।

एंजेलिक इंटरनेशनल के सीएसआर के प्रमुख जयश्री गोयल ने कहा, अपशिष्ट प्रबंधन स्वच्छता के रूप में महत्वपूर्ण है। फूलों और जैविक अपशिष्ट को आर्थिक रूप से हरे-भरे क्षेत्रों के लिए उपयोगी खाद में परिवर्तित करने की प्रक्रिया हमारी नई सीएसआर पहल है। हम झंडेवालान मंदिर में सफल रहे हैं और इसे दिल्ली भर में इस्तेमाल करने की उम्मीद है। मिट्टी से फूल और फूलों से फिर से मिट्टी तक का सफर।

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