सिस्टर रानी मारिया धन्य घोषित, ग्रामीणों ने मनाई खुशी
कोच्चि, 4 नवंबर (आईएएनएस)| केरल की नन सिस्टर रानी मारिया को धन्य घोषित किए जाने के अवसर पर उनके गांव पुलुवाझी में ग्रामीणों ने पटाखे छोड़कर और मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाई। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में संत घोषित किए जाने के कार्यक्रम के मद्देनजर यहां संत थॉमस कैथोलिक चर्च के पास आयोजित विशेष प्रार्थनासभा में हिस्सा लेने बड़ी संख्या में लोग वहां जाते हुए देखे गए हैं।
चर्च के पादरी ने कहा, यह हमारे लिए खुशी की बात है और इस अवसर पर एक विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई है। इसके अलावा अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। 15 नवंबर को एक विशेष प्रार्थना सत्र का आयोजन किया जाएगा और उसके बाद 19 नवंबर को एक सार्वजनिक सभा और विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी।
संत थॉमस कैथोलिक चर्च के एक पादरी ने कहा, चर्च के लगभग 300 लोगों ने इंदौर में प्रार्थना और धन्य घोषित किए जाने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा, यहां से कई सारे लोग कार्यक्रम में हिस्सा लेने इंदौर गए हुए हैं। हमने निर्णय लिया है कि जब वे वापस आएंगे, हम यहां उत्सव मनाएंगे।
सिस्टर रानी मारिया का जन्म 1954 में हुआ था और नन बनने के बाद मिशनरी के काम के लिए वह फ्रांसिस्कन क्लेरिस्ट कांग्रीगेशन में शामिल हुई। उन्होंने अपने अधिकतर कार्य उत्तर भारत में किया।
25 फरवरी 1995 को, समुंदर सिंह नाम के व्यक्ति ने इंदौर के निकट उन्हें बस से निकालने के बाद चाकुओं से गोद कर उनकी हत्या कर दी। समुंदर सिंह को कथित रूप से साहूकारों ने भाड़े पर हत्या के लिए तैयार किया था। सिस्टर मारिया के परोपकार काम से उनका कार्य प्रभावित हो रहा था।
वर्ष 2006 में उनके परिवार ने समुंदर सिंह को माफी दे दी और उसे रिहा कर दिया गया।
बाद में वह सिस्टर मारिया के गांव आया और उनके परिवार के सदस्यों से मिला। उनलोगों ने उन्हें हत्या के लिए माफ कर दिया।
कैथोलिक चर्च ने उन्हें संत की उपाधि दिलाने का फैसला किया। वेटिकन द्वारा 2003 में इसके लिए सहमति देने के बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई।
वर्ष 2005 में उन्हें ‘भगवान का सेवक’ घोषित किया गया और इस वर्ष मार्च में उन्हें धन्य घोषित करने के आदेश दिए गए।
आज( शनिवार) के बाद वह ‘ब्लैस्ड सिस्टर मारिया’ के रूप में जानी जाएगी, जोकि संत की उपाधि दिए जाने से केवल एक कदम दूर है।
फिलहाल भारतीय कैथोलिक के तीन संत है। इस क्रम में पहला संत क्युरियाकोस ऊर्फ चवारा जोकि लोगों के बीच चवारा अचान के रूप में जाने जाते हैं। दूसरी संत सिस्टर यूफ्रोसिया, लोगों के बीच इवूप्रसियाम्मा के रूप में जानी जाती है, दोनों को वर्ष 2014 में संत घोषित किया गया और इस सूची में तीसरा नाम सिस्टर अल्फोंस का है, जोकि संत घोषित की जाने वाली पहली भारतीय हैं।
केरल की 3.34 करोड़ कुल आबादी में 61.41 लाख ईसाई हैं जिनमें से 50 प्रतिशत आबादी कैथोलिकों की है।