राष्ट्रीय

हिमाचल चुनाव : क्या ‘करसोग’ में कायम रहेगा कांग्रेस का दबदबा?

नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 बादशाहत, वर्चस्व और अपने क्षेत्र में कायम दबदबे के लिए जाना जाएगा। इस चुनाव में कई ऐसा नेता हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय के रूप में की और जीत हासिल कर मुख्यधारा में शामिल हुए और लोगों के दिलों में घर कर गए। हिमाचल प्रदेश की करसोग विधानसभा सीट को ऐसी ही श्रेणियों में गिना जाता है।

हिमाचल प्रदेश की करसोग विधानसभा सीट संख्या-26 (अनुसूचित जाति) के लिए आरक्षित है। लेकसभा क्षेत्र मंडी और जिला मंडी की करसोग विधानसभा में 2012 चुनाव के वक्त 60,076 मतादाता थे। इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2012 तक 95,000 के आसपास थी। करसोग को हिमाचल की ‘रहस्य और मंदिरों की घाटी’ कहा जाता है। लोगों की ऐसी धारणा है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहीं पर समय व्यतीत किया था।

सीट आरक्षित होने के कारण यहां एक समुदाय के लोगों का क्षेत्र की राजनीति पर खासा प्रभाव है। पिछले चुनावों के नतीजों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि करसोग की जनता के दिल में पार्टी का चिह्न बाद में अपनी पसंद पहले आती है।

बात करें क्षेत्र की राजनीति की तो 1967 में बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरें मनसा राम ने अपने काम और लोगों के बीच ऐसी छाप छोड़ी की जनता ने एक बार नहीं बल्कि पांच बार इस क्षेत्र से उन्हें विधायक चुना। मनसा राम पहला चुनाव जीतने के बाद दूसरी बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े और जीते भी लेकिन शायद जनता को यह साथ पसंद नहीं आया और तीसरे चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।

मनसा राम ने चौथी बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस और 2012 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर मनसा राम इस क्षेत्र से विधायक चुने गए। मनसा राम ने 2017 विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है। मनसा राम, वीरभद्र सिंह के बाद अकेले ऐसे कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने क्षेत्रीय राजनीति पर अपना दबदबा कायम किया है।

वहीं बात करें विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तो पार्टी ने 2007 में निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मनसा राम को हराकर सीट हासिल करने वाले हीरा लाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हीरा लाल ने 2007 में मनसा राम के विजयरथ पर लगाम लगाई थी लेकिन जनता ने अगले चुनाव में फिर से मनसा राम को कमान सौंप दी। हीरा लाल ने 2012 में भी भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन जनता ने मनसा राम को चुना। भाजपा ने हीरा लाल को दोबारा से मौका दिया है।

इसके साथ ही इन दोनों पार्टियों को टक्कर दे रहे हैं दो बार के पूर्व विधायक और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मस्त राम। मस्त राम ने निर्दलीय के रुप में नामांकन दाखिल किया है। मस्त राम ने टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया था।

साथ ही राष्ट्रीय आजाद मंच के मेहर चंद खुखलिया,आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर चुके भगवंत सिंह आजाद, पवन कुमार, करसोग के इतिहास में पहली बार उतरी महिला प्रत्याशी अनीता देवी बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।

कुल मिलाकर कहा जाए तो ‘रहस्य की घाटी’ करसोग की जनता किसी एक पक्ष की तरफ आर्कषित नहीं हैं। ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां की जनता जाति विशेष का भाव तो रखती है साथ ही विकास के मुद्दे को भी भलीभांति भांपती है। पिछले परिणामों पर गौर किया जाए तो क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन निर्दलीयों ने भी इस क्षेत्र की राजनीति में बड़े बदलाव दिये हैं।

हिमाचल प्रदेश में चुनाव 9 नवंबर को होंगे। वोटो की गिनती गुजरात चुनाव की मतगणना के साथ 18 दिसंबर को की जाएगी।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close