प्रद्युम्न की याद में जलीं सैकड़ों मोमबत्तियां
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गुरुग्राम के भोड़सी स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल में 8 सितंबर को दरिंदगी का शिकार हुए कक्षा-2 के सात वर्षीय प्रद्युम्न ठाकुर की याद में रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रद्युम्न के पिता बरुण चंद्र ठाकुर की अगुवाई में सैकड़ों लोगों ने मोमबत्तियां जलाईं।
इसमें प्रद्युम्न की मां भी शामिल हुईं। मासूम प्रद्युम्न की स्कूल में गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। प्रद्युम्न को न्याय दिलाने और देशभर के स्कूलों में बच्चों के साथ हो रही आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने के मकसद से बरुण ठाकुर ने अपने दिवंगत पुत्र के नाम पर प्रद्युम्न फाउंडेशन की स्थापना की है।
प्रद्युम्न फाउंडेशन की ओर से ही रविवार को कैंडल-लिट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पहले यह आयोजन इंडिया गेट पर होना तय था, लेकिन आखिरी मौके पर दिल्ली पुलिस ने वहां आयोजन की इजाजत नहीं दी, तब आयोजन रामलीला मैदान में किया गया।
प्रद्युम्न की मां सुषमा उर्फ ज्योति ठाकुर ने कहा, एक मां बहुत आशा के साथ अपने बच्चे को स्कूल भेजती है, लेकिन अब हर मां के मन में डर घरकर गया है। इस बात को मैं महसूस करती हूं, क्योंकि मैंने अपने जिगर के टुकड़े को खोया है। मेरे बेटे के साथ जो जुर्म हुआ, उसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। मासूम को क्या मालूम कि कौन उसके साथ क्या कर सकता है।
उन्होंने अपने बेटे के लिए इंसाफ की गुहार लगाई और कहा कि देशभर के स्कूलों में पढ़ने वाले करोड़ों नौनिहालों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
सुषमा ठाकुर ने कहा कि इस आपराधिक घटना में शामिल लोगों को को कठोर से कठोर सजा मिले, ताकि आगे से कोई ऐसा जुर्म करने से पहले एक बार सोचे कि उसके साथ क्या होने वाला है। उन्होंने कहा कि प्रद्युम्न की हत्या के माता-पिता ही नहीं, बच्चे भी डरे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद हर बच्चे की मां डरी हुई है। इसलिए सरकार की ओर से ऐसे कदम उठाने की जरूरत है, जिससे माता-पिता के साथ-साथ बच्चों के मन से असुरक्षा की भावना दूर हो। साथ ही स्कूल की ओर भी बच्चों की सुरक्षा के लिए समुचित प्रबंध किया जाए, ताकि हर मां के मन में यह भरोसा कायम हो कि स्कूल में उसका बच्चा सुरक्षित रहेगा।
प्रद्युम्न के पिता बरुण ने अपने इकलौते बेटे की हत्या पर आक्रोश जताया और कहा कि उन्हें अपने बेटे के लिए इंसाफ चाहिए। उन्होंने इंसाफ की इस लड़ाई में आम-अवाम से सहयोग की अपील की और कहा कि जिस तरह प्रद्युम्न हत्याकांड में लोगों ने अपनी संवदेनशीलता दिखाई है, वैसी ही संवदेनशीलता स्कूलों में होनेवाली हर आपराधिक घटना को लेकर होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस घटना के दोषियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए, जो एक उदाहरण बने और फिर कोई प्रद्युम्न हत्या का शिकार न हो।
बरुण ने कहा कि वह स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करवाना चाहते हैं। इसके लिए स्कूलों के माहौल में बदलाव जरूरी है। खासतौर से अभिभावकों व स्कूल प्रशासकों के बीच सहयोग व मैत्रीपूर्ण माहौल में संवाद होना चाहिए और यह तभी संभव होगा, जब निजी स्कूलों में लालफीताशाही खत्म होगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि निजी स्कूलों का संचालन आज ज्यादातर शिक्षा माफिया के नियंत्रण में हो रहा है। ऐसे में सख्त नियमों के बिना वहां सुरक्षा का माहौल पैदा करना असंभव है।
बरुण ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर प्रधानमंत्री से एक राष्ट्रीय-नीति की घोषणा करने की अपील की।
बरुण के वकील सुशील के. टेकरीवाल ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा व संरक्षा को अहम मसला बताया और कहा कि इसके लिए सरकार की ओर से ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, अब तक इस ओर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया। इसका कारण शायद यह तो नहीं कि बच्चे किसी राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक नहीं होते।
टेकरीवाल ने भी केंद्र सरकार से बच्चों की सुरक्षा व संरक्षा को लेकर एक गहन व समग्र राष्ट्रीय नीति की जरूरत बताई और कहा कि इसकी घोषणा के साथ-साथ सरकार को इस पर संसद में श्वेतपत्र जारी करना चाहिए।
प्रख्यात शिक्षाविद, समाजसेवी व मिथिलालोक फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. बीरबल झा ने बच्चों को राष्ट्र का भविष्य बताया और कहा कि बच्चों में असुरक्षा की भावना देश के विकास में बाधक बन सकता है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति का चरित्र निर्माण स्कूली माहौल में ही होता है। इसलिए स्कूलों में बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है। स्कूलों के शिक्षकों के लिए जिस प्रकार शैक्षणिक योग्यता व प्रशिक्षण की जरूरत होती है, उसी प्रकार प्रशासकों के लिए भी वांछित योग्यता तय होनी चाहिए।