राष्ट्रीय

‘रयान स्कूल की मान्यता रद्द करे सीबीएसई’

गुरुग्राम, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| गुरुग्राम के रयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के छात्र प्रद्युम्न की हत्या के बाद सीबीएसई द्वारा सर्वोच्च न्यालय में दाखिल हलफनामे से स्कूल की गंभीर लापरवाही सामने आने के बाद पीड़ित परिवार ने संबंधित इकाई के सचिव को एक अभिवेदन (रिप्रजेंटेशन) भेजा है।

प्रद्युम्न के परिवार की ओर से भेजे गए इस अभिवेदन में स्कूल की मान्यता, पंजीकरण और संबद्धता रद्द किए जाने की मांग की गई है। यह अभिवेदन दिल्ली के प्रीत विहार स्थित सीबीएसई कार्यालय ने प्राप्त कर लिया है।

प्रद्युम्न के पिता बरुण चंद्र ठाकुर अपने इकलौते बेटे की हत्या के मामले में इंसाफ के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। उनके बेटे की स्कूल के टॉयलेट में 8 अगस्त को गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। प्रद्युम्न की मां ज्योति ठाकुर सहित समूचा परिवार, देश और दुनिया जानना चाहती है कि सात साल के मासूम ने आखिर क्या गुनाह किया था कि बेरहम स्कूल ने उसे मृत्युदंड दे दिया।

प्रद्युम्न की बहन विधि ठाकुर इस बार भाईदूज पर खूब रोई। रयान स्कूल की ही छात्रा विधि का भरदुतिया (भाईदूज) त्योहार पहली बार भाई के बिना गुजरा।

बरुण ठाकुर ने सीबीएसई कार्यालय जाकर वहां मौजूद अधिकारियों से मुलाकात कर अभिवेदन सौंपा है।

सीबीएसई कार्यालय ने प्रद्युम्न के पिता को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है, साथ ही इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कानूनी स्तर पर हरसंभव कार्रवाई करने की बात कही है।

सीबीएसई के दिशानिर्देश को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दाखिल जवाबी हलफनामे में छात्र की हत्या की घटना संबंधी तथ्यों की जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकला था कि यह घटना स्कूल के अधिकारियों द्वारा कर्तव्य निभाने में भारी चूक के कारण हुई है।

हलफनामे में कहा गया है कि अगर स्कूल ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही रूप से और जिम्मेदारी से किया होता, तो छात्र प्रद्युम्न की दुभाग्यपूर्ण हत्या को टाला जा सकता था। इसके साथ ही स्कूल में कई तरह की खामियां निकलकर सामने आई हैं, जिसमें घटना के बाद स्कूल प्रशासन द्वारा पुलिस और शिक्षा विभाग को तुरंत सूचित नहीं करना शामिल था।

हत्या की घटना के बाद स्कूल प्रशासन द्वारा कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई। इसे रेखांकित करते हुए अभिवेदन में यह सुझाव दिया गया है कि दोषी पाए जाने के बिना भी स्कूल के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की कोई दूसरी घटना न हो। अभिवेदन में सबसे ऊपर स्कूल की मान्यता रद्द करने को प्राथमिकता दी गई है।

बरुण के वकील सुशील के. टेकरीवाल ने कहा, स्कूल के खिलाफ कोई दया भाव नहीं होना चाहिए और सर्वोच्च न्यायलय में सीबीएसई द्वारा दाखिल हलफनामे को देखते हुए स्कूल की मान्यता को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए, जिसमें स्पष्ट रूप से स्कूल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है।

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