फिल्म ‘मर्सल’ को लेकर विवाद में कूदे हासन व भंडारकर, निशाने पर भाजपा—कांग्रेस
मुंबई। अभिनेता व फिल्म निर्माता कमल हासन ने तमिल अभिनेता विजय की फिल्म ‘मर्सल’ का समर्थन किया और कहा कि जो लोग इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं, उन्हें अवश्य तार्किक प्रतिक्रिया के साथ माकूल जवाब देना चाहिए। भाजपा ने इस फिल्म में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की आलोचना के लिए फिल्म अभिनेता विजय को निशाने पर लिया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, मर्सल प्रमाणित है। इसे फिर से सेंसर न करें। विरोध की आवाज पर तार्किक प्रतिक्रिया दें। आलोचनाओं को चुप न कराएं। जब भारत बोलेगा, तभी तो चमकेगा।
फिल्म रिलीज होने के बाद तमिलनाडु भाजपा के नेताओं ने अभिनेता विजय को निशाने पर लिया। इस फिल्म में अभिनेता के डायलॉग में जीएसटी व डिजिटल इंडिया पर निशाना साधा गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एच. राजा ने शुक्रवार को अभिनेता के ईसाई मूल को लेकर भी ट्वीट किया। उन्होंने कहा, “मोदी के प्रति जोसेफ विजय की नफरत है ‘मर्सल’।” राजा ने कहा ‘मर्सल’ विजय के आर्थिक मामलों की उपेक्षा को दर्शाता है, जिसमें कहा गया है कि जीएसटी नया कर नहीं है और शराब पर 58 प्रतिशत कर लगाया गया है।
तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन ने फिल्म में जीएसटी, डिजिटल पेमेंट और मंदिर से संबंधित डायलॉग हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे गलत संदेश फैल रहा है। वहीं इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम फिल्म ‘मर्सल’ के कुछ डायलॉग हटाने की मांग पर कटाक्ष किया और व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि ‘ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिसमें वृत्तचित्रों (डॉक्यूमेंटरी) में सिर्फ सरकार की नीतियों की सराहना की जाए।’
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, भाजपा ‘मर्सल’ के डायलॉग हटाने की मांग कर रही है। आप कल्पना कीजिए, आज की परिस्थिति में अगर ‘पराशक्ति’ जैसी फिल्म रिलीज हुई होती तो क्या होता। चिदंबरम ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “फिल्म निर्माताओं के लिए सूचना : कानून आने वाला है, अब आप केवल वही वृत्तचित्र बना सकते हैं, जिसमें सरकार की सराहना की जाए।”
फिल्म निर्माता निर्देशक मधुर भंडारकर ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया, ‘राहुल गांधी सर, मैं किसी भी फिल्म के ऊपर बैन लगाने के खिलाफ हूं, लेकिन जब आपके कार्यकर्ता मेरी फिल्म इंदु सरकार का विरोध कर रहे थे, तब मैंने आपसे समर्थन की उम्मीद की थी, लेकिन आपने चुप रहना ही सही समझा था।’