उत्तर कोरिया मसले के हल के लिए सभी राजनयिक विकल्पों के प्रयोग पर सहमति
सियोल, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)| दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिकों ने यहां बुधवार को उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों के परीक्षण के बाद उत्पन्न खतरों पर चर्चा की और मसले के समाधान के लिए सभी संभावित राजनयिक विकल्पों के इस्तेमाल पर सहमति जताई।
समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के मुताबिक, इस त्रिपक्षीय बैठक की समाप्ति के बाद दक्षिण कोरिया के उप विदेश मंत्री लिम सुंग-नाम ने अपने जापानी समकक्ष शिंसुका सुगियामा और अमेरिका के उप विदेश मंत्री जॉन सुलिवन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
संवाददाता सम्मेलन में लिन ने कहा कि बैठक में मौजूदा हालात की समीक्षा की गई और इस बात पर सहमति बनी कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को खत्म कराने के लिए सभी संभावित शांतिपूर्ण तरीकों पर अमल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमने यह भी तय किया कि तीनों देश उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध और संवाद के जरिए दबाव बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ समन्वय बनाकर चलेंगे।
अमेरिका के उप विदेश मंत्री जॉन सुलिवन ने भी लिम की बातों का अनुमोदन किया। उन्होंने कहा कि ‘अमेरिका, उत्तर कोरिया के परमाणु मसले के हल के लिए राजनयिक तौर-तरीकों को लेकर प्रतिबद्ध है। उसका मकसद उत्तर कोरिया को वार्ता की मेज तक लाना है।’
इससे पहले सुलिवन ने बुधवार को यहां आने के बाद एक बयान जारी कर भी कहा था कि त्रिपक्षीय वार्ता का उद्देश्य उत्तर कोरिया द्वारा उत्पन्न हथियार खतरे से निपटने के लिए ‘कूटनीतिक प्रयास’ को बढ़ाना है।
सुलिवन ने मंगलवार को टोक्यो में कहा था कि वाशिंगटन ने दोनों देशों की बीच तनाव के बावजूद उत्तर कोरिया से सीधे बातचीत की संभावना को खारिज नहीं किया है। सुलिवन ने यहां अपने जापानी समकक्ष के साथ मुलाकात की थी।
उत्तर कोरिया द्वारा मिसाइल और परमाणु परीक्षण से कोरियाई महाद्वीप में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। इस दौरान वाशिंगटन और प्योंगयांग लगातार एक-दूसरे को धमका रहे हैं।
इस त्रिपक्षीय बैठक के अलावा, दक्षिण कोरिया के उप विदेश मंत्री अपने जापानी व अमेरिकी समकक्ष से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे।
अमेरिका के उप विदेश मंत्री सुलिवन और दक्षिण कोरिया के उप विदेश मंत्री लिम के बीच वार्ता का उद्देश्य ट्रंप के 7 और 8 नवंबर को दक्षिण कोरिया दौरे के दौरान तैयारियों पर विचार करना है। यह अमेरिका के किसी राष्ट्रपति का इस देश में गत 25 वर्ष के अंतराल के बाद पहला आधिकारिक दौरा है।