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दिवाली 2017 : जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

उत्तराखंड। भारत में दिवाली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल ये तिथि 19 अक्टूबर 2017 को पड़ रही है। इस दिन दाता धन की देवी मां लक्ष्मी का पूजन शुभ मुहूर्त में करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी और पूरा साल मंगलकारी होगा। दिवाली के दिन पूजा का खास महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और उनका स्वागत करने के लिए बहुत दिन पहले से ही लोग घरों की साफ-सफाई करनी शुरू कर देते हैं।

घर के दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
भारत में दिवाली जश्न मनाया जा रहा है। दरअसल कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दिवाली पर्व मनाया जाता है। भारत में इस बार 19 अक्टूबर 2017 को दीवाली पड़ रही है। दिवाली में लक्ष्मी पूजन को सबसे अहम माना जाता है, इसलिए इस बार लक्ष्मी पूजन का तीन शुभ मुहूर्त काफी विशेष रहेगा। दिवाली शाम में 5.38 बजे से 8.14 बजे तक प्रदोष काल रहेगा। इस बीच शाम 7.05 बजे से रात 9 बजे तक वृष लग्न में पूजा करना विशेष शुभप्रद माना जा रहा है। इसके साथ ही निशीथ काल और महानिशीथ काल में भी पूजा का शुभ समय है।

19 अक्टूबर 2017 को प्रात : 7.18 बजे तक हस्त-नक्षत्र एवं इसके पश्चात चित्रा-नक्षत्र लगेगा। माना जाता है कि दीपावली पर प्रदोष काल से लेकर अर्धरात्रि तक महालक्ष्मी पूजन मंत्र, जप, अनुष्ठान आदि करना सबसे अहम माना जाता है। प्रदोष काल शाम 5.38 बजे से 8.14 बजे तक रहेगा। शाम 7.05 बजे से रात 9 बजे तक वृष लग्न में पूजा करना विशेष शुभप्रद रहेगा।

शाम 5.40 बजे से 7.18 बजे तक अमृत की चौघडय़िा रहने से इस योग में दीपदान, महालक्ष्मी, गणेश कुबेर पूजन, बहीखाता पूजन शुभ रहेगा। दीवाली के दिन श्री गणेश जी सहित लक्ष्मी-कुबेर आदि का पूजन करना चाहिए। अमावस्या तिथि 18 अक्टूबर 2017 को रात्रि 12.10 बजे लगेगी जोकि 19 अक्टूबर 2017 को रात 12.32 बजे तक रहेगी। दीपावली पूजन में अमावस्या तिथि, प्रदोष निशीथ और महानिशीथ काल का विशेष महत्व होता है। कुल मिलाकर दिवाली के दिन लक्ष्मी की पूजा करना काफी लाभदायक होता। हर साल दिवाली के दिन पूजा का अलग समय होता है। धन की प्राप्ति और पारिवारिक खुशियां पाने के लिए मुहूर्त के हिसाब से पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिवाली पूजा करने के लिए 3 शुभ मुहूर्त है। इन तीनों मुहूर्त में पूजा करने का अपना ही विशेष महत्व होता है। इन विशेष मुहूर्त में मां लक्ष्मी के साथ विष्णु, गणेश और कुबेर की पूजा भी की जा सकती है।

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