कृषि में महिलाओं की भूमिका बहुआयामी : राधामोहन
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने रविवार को कहा कि विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार भारतीय कृषि में महिलाओं का योगदान करीब 32 प्रतिशत है, जबकि कुछ राज्यों (पहाड़ी तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र तथा केरल) में महिलाओं का योगदान कृषि तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुरुषों से भी ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि भारत के 48 प्रतिशत कृषि संबंधित रोजगार में औरतें हैं, जबकि लगभग 7.5 करोड़ महिलाएं दुग्ध उत्पादन तथा पशुधन व्यवसाय से संबंधित गतिविधियों में सार्थक भूमिका निभाती हैं।
कृषि मंत्री ने यहां आयोजित राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के अवसर पर कहा कि सरकार की विभिन्न नीतियों जैसे जैविक खेती, स्वरोजगार योजना, भारतीय कौशल विकास योजना में महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है और यदि महिलाओं को अच्छा अवसर तथा सुविधा मिले तो वे देश की कृषि को द्वितीय हरित क्रांति की तरफ ले जाने के साथ देश के विकास का परिदृष्य भी बदल सकती हैं।
राधामोहन ने बताया, पिछले वर्ष उनके मंत्रालय द्वारा प्रति वर्ष 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। निर्णय का आधार था-संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा 15 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाना।
राधामोहन ने कहा, आज की वर्तमान चुनौती जैसे कि जलवायु परिवर्तन एवं प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण को रोकने तथा प्रबंधन करने में महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। महिलाएं कृषि में बहुआयामी भूमिकाएं निभाती हैं। जहां बुवाई से लेकर रोपण, निकाई, सिंचाई, उर्वरक डालना, पौध संरक्षण, कटाई, निराई, भंडारण आदि सभी प्रक्रियाओं से वे जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा वे कृषि से सम्बंधित अन्य धंधों जैसे, मवेशी प्रबंधन, चारे का संग्रह, दुग्ध और कृषि से जुड़ी सहायक गतिविधियों जैसे मधुमक्खी पालन, मशरुम उत्पादन, सूकर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन इत्यादि में भी पूरी तरह सक्रिय रहती हैं।
उन्होंने कहा, कृषि में महिलाओं की अहम भागीदारी को ध्यान में रखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 1996 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान की स्थापना भुवनेश्वर में की। यह संस्थान कृषि में महिलाओं से जुड़े विभिन्न आयामों पर कार्य करता है। इसके अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 100 से अधिक संस्थानों ने कई तकनीकियों का सृजन किया ताकि महिलाओं की कठिनाईयों को कम कर उनका सशक्तीकरण हो।
उल्लेखनीय है कि देश में 680 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं। हर कृषि विज्ञान केन्द्र में एक महिला वस्तु विशेषज्ञ (गृह विज्ञान) है। वर्ष 2016-17 में महिलाओं से संबंधित 21 तकनीकियां का मूल्यांकन किया गया और 2.56 लाख महिलाओं को कृषि संबंधित क्षेत्रों जैसे सिलाई, उत्पाद बनाना, वेल्यू एडिशन, ग्रामीण हस्तकला, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, पोल्ट्री, मछली पालन का प्रशिक्षण दिया गया।