ईरानी परमाणु समझौते पर यूरोपीय संघ बचनबद्ध
ब्रसेल्स, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते पर आगे न बढ़ने की घोषणा की है, लेकिन इसके विपरीत यूरोपीय संघ(ईयू) के नेताओं ने ईरान के साथ परमाणु समझौते पर और सभी पक्षों द्वारा इसके पूर्ण क्रियान्वयन को लेकर अपनी बचनबद्धता दोहराई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, फ्रांस, जर्मनी, और ब्रिटेन के नेताओं ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट द्वारा शुक्रवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा है कि वे लोग ट्रंप के निर्णय के संभावित असर को लेकर चिंतित हैं और अमेरिकी प्रशासन व कांग्रेस से संयुक्त व्यापक कार्य योजना(जेसीपीओए) को खत्म करने वाला कोई भी कदम उठाने से पहले अमेरिका और उसके गठबंधन सहयोगियों के सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों पर गौर करने का आग्रह किया है।
बयान के मुताबिक, ईरानी परमाणु समझौते को जेसीपीए के रूप में भी जाना जाता है। यह समझौता 13 वर्षो के अथक कूटनीति प्रयास के बाद अस्तित्व में आया और इसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया था कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल न किया जाए।
यूरोपीय संघ के तीनों नेताओं ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी(आईएईए) ने अपने लंबे सत्यापन व निगरानी कार्यक्रम में लगातार इसकी पुष्टि की है कि ईरान जेसीपीए के साथ सहयोग कर रहा है।
संयुक्त बयान के अनुसार, हमारी सरकारें जेसीपीओए को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
इस बीच तीनों देशों के नेताओं ने यह भी कहा कि वे ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम एवं क्षेत्रीय गतिविधि को लेकर चिंतित हैं, जो हमारे यूरोपीय सुरक्षा हितों पर भी प्रभाव डालता है।
बयान में तीनों नेताओं ने कहा, हम अमेरिका और संबंधित सभी साझेदारों के साथ घनिष्ठ सहयोग कर इन मुद्दों को सुलझाने के लिए उपयुक्त युक्ति निकालने के लिए तैयार हैं। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि ईरान अस्थिर करने वाली किसी भी कार्रवाई से दूर रहे और समस्या के समाधान के लिए सकारात्मक बातचीत में शामिल हो।
वहीं रूस के विदेश मंत्रालय ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को प्रमाणित न करने के ट्रंप के फैसले को अफसोसजनक बताया है। रूस का कहना है कि ईरान इस समझौते का कड़ाई से पालन कर रहा है।
इजरायल ने हालांकि ट्रंप के निर्णय का स्वागत किया और उनकी घोषणा की सराहना की है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को ट्रंप की घोषणा का स्वागत करते हुए इसे ‘साहसपूर्ण निर्णय’ बताया।
सऊदी अरब सरकार ने भी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से अपनाई गई नई ईरान नीति का स्वागत किया है।
ईरानी परमाणु समझौते को प्रमाणित नहीं करने के ट्रंप के फैसले के बाद यूरोपीय संघ विदेश नीति प्रमुख फेड्रिका मोघरिनी ने कहा कि ईयू ईरानी परमाणु समझौते को पूरी तरह जारी रखेगा।
मोघरिनी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, यह द्विपक्षीय समझौता नहीं है। यह किसी एक देश से संबंध नहीं है और कोई एक देश इस समझौते को निरस्त नहीं कर सकता। हम ऐसे परमाणु समझौते को, जो अच्छे से काम कर रहा है, उसे निरस्त करने का खतरा नहीं उठा सकते हैं।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आईएईए ने ईरान की परमाणु प्रतिबद्धताओं की जांच के लिए आठ बार निरीक्षण किया था।
मेघरिनी ने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप की आज की घोषणा के बाद यह परमाणु समझौता अब अमेरिकी कांग्रेस में चला गया है। जीसीपोओए कोई घरेलू मुद्दा नहीं है, बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव है। यूरोपीय संघ लगातार ईरानी परमाणु समझौते और सभी देशों द्वारा इसके सभी प्रावधानों को पूर्ण और सख्ती क्रियान्वयन को पूरा समर्थन देता रहेगा।
जेसीपीओए पर 2015 में ईरान और ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जर्मनी के बीच सहमति बनी थी। ईयू ने भी इस समझौते को करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसे बड़ी कूटनीतिक सफलता माना था।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के शासन को ‘कट्टरपंथी’ बताते हुए उसकी निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया था। बीबीसी के मुताबिक, ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह इस समझौते को परामर्श के लिए कांग्रेस के पास भेज रहे हैं और अपने सहयोगियों से सलाह लेंगे कि इसमें क्या बदलाव किए जाएं।
उन्होंने ईरान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया और कहा कि वह ईरान को परमाणु हथियार के रास्ते पर नहीं चलने देंगे।