ऐसा हो जाए तो बिना काम किए देश के हर व्यक्ति को सालाना 26 सौ रुपये मिलेंगे
नई दिल्ली। काम करने का ही दाम यानी पैसा मिलता है। यह बात हम बाखूबी जानते हैं। लेकिन इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने कहा है कि अगर भारत चाहे तो हर व्यक्ति को बिना कोई काम किए ही सालाना 2,600 रुपए मिल सकते हैं।
आईएमएफ ने कहा है कि अगर भारत अनाज और ऊर्जा पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म कर दे तो हर व्यक्ति को सालाना 2,600 रुपए की यूनिवर्सल बेसिक इनकम यानी यूबीआई मिल सकती है।
बता दें कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम वह आय होती है, जिसे सरकार या फिर किसी अन्य पब्लिक इंस्टीट्यूशन की तरफ से सोशल सिक्योरिटी की तरह दिया जाता है। यह आय व्यक्ति की अपनी इनकम से अलग होती है। कई देशों में यूबीआई पर परीक्षण किया जा रहा है। आईएमएफ ने भारत में भी इसकी संभावना पर विचार किया है।
आईएमएफ का गणित साल 2011-12 के डेटा पर आधारित है। उसका कहना है कि भारत में सब्सिडी की मौजूदा व्यवस्था में ढेरों कमियां हैं।
अगर इन कमियों को दूर कर दिया जाए तो इससे काफी फायदा होगा और व्यवस्था भी ठीक हो जाएगी। व्यवस्था में कमी होने की वजह से ही इसका फायदा ऐसे वर्गों को नहीं मिल पाता है जो इसके हकदार हैं।
2600 रुपए की बेसिक इनकम का आंकड़ा इस आधार पर निकाला गया है कि यह देश में फूड और एनर्जी सब्सिडी की जगह दी जाएगी। यानी यह तो साफ है कि फूड पर एनर्जी पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म किया जा सकता है।
हालांकि, इससे कमजोर वर्ग को काफी फायदा होगा। आईएमएफ ने अपनी बात को दम देने के लिए 2016 के अध्ययन को आधार बनाया है।
रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है यूबीआई को लागू करने से मिलने वाले सभी फायदों के लिए राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियों से निपटने की योजना बेहद सावधानी से बनानी होगी क्योंकि सब्सिडी व्यवस्था में सुधार करने के लिए कीमतों में बड़े स्तर पर बढ़ोत्तरी करनी होगी। अब देखना यह होगा कि सरकार आखिर आईएमएफ की सलाह पर गौर करती भी है या नहीं।
आईएमएफ ने यह साफ किया है कि इससे जनवितरण प्रणाली यानी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) में कमजोर तबके के लोगों की पूरी कवरेज न होने, अधिक कमाई करने वाले लोगों की ओर से सब्सिडी के एक बड़े हिस्से को हासिल करने जैसी सभी समस्याओं से निपटारा मिल जाएगा। दरअसल, आईएमएफ भारत को यूबीआई यानी यूनिवर्सिल बेसिक इनकम के लिए एक विकल्प के तौर पर देख रहा है।
क्या है यूबीआई
यूबीआई का मतलब होता है यूनिवर्सल बेसिक इनकम। यूनिवर्सल बेसिक इनकम वह आय होती है, जिसे सरकार या फिर किसी अन्य पब्लिक इंस्टीट्यूशन की तरफ से सोशल सिक्योरिटी की तरह दिया जाता है। यह आय व्यक्ति की अपनी आय से भिन्न होती है। कई देशों में यह वहां के लोगों को दी भी जाती है और अब हो सकता है भारत में भी यह लागू हो जाए।
भारत में बेसिक इनकम से जुड़े दो पायलट प्रोजेक्ट चल रहे हैं। यह प्रोजेक्ट 2011 से चल रहे हैं। इनसे काफी अच्छे रिजल्ट सामने आए हैं। गांवों में फूड और हेल्थकेयर पर खर्च बढ़ा है। करीब 68 फीसदी परिवारों में बच्चों का स्कूल में प्रदर्शन बढ़ा है।
स्कूल में बिताया जाने वाला समय लगभग तीन गुना तक हो गया है, पर्सनल सेविंग तीन गुना तक बढ़ी है और नए बिजनेस स्टार्टअप दोगुने हो गए हैं।