वाराणसी : प्रतिदिन 5 करोड़ लीटर गंदे पानी का होगा उपचार
वाराणसी, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| गंगा की साफ-सफाई के लिए पीपीपी मॉडल के तहत 156 करोड़ रुपये की लागत वाली देश की प्रथम एसटीपी परियोजना प्रतिदिन पांच करोड़ लीटर गंदे पानी का उपचार उसके नदी में मिलने से पहले करेगी।
एस्सेल इंफ्रा को 15 वर्षो की अवधि के लिए सौंपी गई यह परियोजना 18 महीनों में पूरी की जानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी के रामना इलाके में एस्सेल इंफ्रा के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का शिलान्यास किया। परियोजना नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (नमामि गंगे) की भागीदारी में उप्र जल निगम द्वारा मंजूर हाइब्रिड एन्यूटी-पीपीपी मॉडल पर एस्सेलइंफ्रा द्वारा विकसित की जा रही है।
अपेक्षा की जा रही है कि यह शहर का पांच करोड़ लीटर मल-निस्तारण रोजाना करेगी। मल-निस्तारण के लिए इस परियोजना में कड़े अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुसार विश्वस्तरीय एसबीआर (सिक्वेंसिंग बैच रिएक्टर्स) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। वर्तमान में शहर की पूरी गंदगी बिना किसी उपचार-तंत्र से गुजारे सीधे गंगा में ठेल दी जाती है।
एस्सेल इंफ्रा लिमिटेड के सीईओ रोहित मोदी ने कहा, नमामि गंगे कार्यक्रम से जुड़कर हमें गर्व का अनुभव हो रहा है। यह ‘स्वच्छ भारत’ वाली व्यापक दृष्टि से प्रेरित अभियान है, जो मां गंगा की साफ-सफाई के साथ प्रारंभ हुआ है और इसमें हमारा योगदान राष्ट्र-निर्माण की दिशा में उठा एक अकिंचन-सा कदम है।
परियोजना के कंसोर्टियम की अगुवाई करने वाला एस्सेल इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड इस एसटीपी की पूरी डिजाइनिंग, विकास, वित्त, निर्माण कार्य, इसकी निस्तारण जलवाहिनी तथा प्लांट से जुड़ी तमाम ढांचागत चीजों का काम अपनी देखरेख में सम्पन्न करेगा। अपनी तरह की इस पहली मल-निस्तारण परियोजना का प्रबंधन ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ के तहत किया जा रहा है, जो केंद्र सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है।