अन्तर्राष्ट्रीय

रोहिंग्या संकट पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव से नहीं डरतीं सू की

नेपेडा, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने मंगलवार को कहा कि उनका देश रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी संकट को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के दबाव से नहीं डरता है और इस तथ्य से अवगत है कि दुनिया का ध्यान राखिने राज्य के हालात पर केंद्रित है। सीएनएन के मुताबिक, उन्होंने राखिने में हो रही हिंसा के मद्देनजर 415,000 रोहिंग्या मुसलमानों के बांग्लादेश पलायन करने को लेकर पहली बार राष्ट्र को संबोधित किया।

सू की ने कहा, आधी सदी या इससे अधिक अवधि तक रहे अधिनायकवादी शासन के बाद अब हम अपने देश को संवारने की प्रक्रिया में हैं।

सू की ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा, म्यांमार सरकार का मकसद जिम्मेदारी को बांटना या जिम्मेदारी से भागना नहीं है। हम सभी प्रकार के मानवाधिकारों के उल्लंघनों और गैर कानूनी हिंसा की निंदा करते हैं।

उन्होंने कहा, हम पूरे देश में शांति, स्थिरता और कानून का शासन बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा म्यांमार की सेना की कार्रवाई को जनजातीय लोगों का नामोनिशान मिटाने का ऐतिहासिक उदाहरण दिए जाने के संदर्भ में सू की ने कहा कि उनकी सरकार को अभी भी इस बात का पता लगाने की आवश्यकता है कि वास्तविक समस्या क्या है?

उन्होंने कहा, आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए हैं। हमें उन सभी को सुनना है और कोई कदम उटाने से पहले यह सुनिश्चित करना है कि वे आरोप ठोस सबूतों पर आधारित हों।

गौरतलब है कि ‘अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी’ (एआरएसए) के विद्रोहियों ने 25 अगस्त को पुलिस चौकियों पर हमला कर दिया था और 12 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी।

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित सू की ने कहा कि हिंसा कई जटिलताओं में से एक है, जिसका सामना एक नए लोकतंत्र को करना पड़ता है। यह कुछ इस तरह है जैसे एक बीमार व्यक्ति को कई रोगों का इलाज कराने की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा, हम एक युवा और नाजुक देश हैं, जो कई समस्याओं का सामना कर रहा है। लेकिन हमें उन सभी से निपटना है..हम सिर्फ कुछ समस्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते।

बीबीसी के मुताबिक, सू की ने कहा कि वह यह भाषण इसलिए दे रही हैं, क्योंकि इस सप्ताहांत वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग ले पाने में असमर्थ रहीं।

उन्होंने कहा कि वह चाहती थीं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यह जाने कि उनकी सरकार स्थिति से निपटने के लिए क्या कर रही है।

रोहिंग्या प्रकरण पर चुप्पी साधने के कारण सू की की चौतरफा आलोचना हो रही है।

म्यांमार इस तथ्य के बावजूद कि कई रोहिंग्या परिवार राखिने में सालों से रह रहे हैं, इन्हें पड़ोसी देश बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी समझता है।

वहीं बांग्लादेश इन्हें म्यांमार का नागरिक मानता है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close