खेल

युवा खिलाड़ी कागज की तरह, जैसे चाहे मोड़ दो: मनप्रीत

रांची, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के पांचवें सीजन में गुजरात फॉर्च्यूनजाएंट्स टीम ने पहली बार कदम रखा और अपने प्रदर्शन से सभी पंडितों को हैरान कर दिया। टीम के पास कबड्डी का न कोई बड़ा नाम है और न ही लीग में खेलने का ज्यादा अनुभव रखने वाले खिलाड़ी। बावजूद इसके टीम ने कई दिग्गज खिलाड़ियों की टीमों को पटखनी देते हुए अपने आप को खिताब की प्रबल दावेदार के रूप में स्थापित कर लिया है।

इसका कई हद तक श्रेय टीम के कोच मनप्रीत सिंह को जाता है। सीजन-तीन में अपनी कप्तानी में पटना पाइरेट्स को खिताब दिलाने वाले मनप्रीत पूरी शिद्दत से एक विजयी टीम बनाने में लगे हुए हैं। उनका मानना है कि किसी भी टीम के निर्माण में युवा खिलाड़ियों की अहम भूमिका होती है, क्योंकि वह कोरे कागज की तरह होते हैं, जो सिखाओं वैसा ही सीखते हैं।

मनप्रीत ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, जब आप बड़े-बड़े स्टार ले लेते हो तो आपको पता नहीं होता कि आप अंत तक उन्हें लेकर खेलोगे या नहीं। वो चोटिल हो जाएं तो दिक्कत। ये भी पता नहीं होता कि वह आपकी बात मानेंगे या नहीं। जब एक संतुलित टीम बनाके चलते हो और नए खिलाड़ियों को सिखाते हो तो वो जल्दी सीखते हैं। वो मैट पर उसे जल्दी लागू करते हैं। जो पुराने हैं वो अधिकतर अपनी ही रणनीति से खेलते हैं। नए बच्चे कोरे कागाज हैं, इन्हें जैसे मोड़ना चाहो वैसी ही मुड़ जाते हैं। ऐसे ही एक टीम बनती है।

लीग में अब तक खेले गए 14 मैचों में से गुजरात ने आठ में जीत दर्ज की है, वहीं तीन मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा है और तीन मैच रद्द हुए हैं। वह जोन-ए में 51 अंकों के साथ सबसे ऊपर है। गुजरात की टीम काफी मजबूत है और इस समय बेहतरीन खेल खेल रही है। उसकी एक वजह उसका मजबूत डिफेंस हैं, जिसमें ईरान के फजल अत्राचली और अबोजर मिघानी मजबूत कड़ी हैं। टीम लीग में सबसे संतुलित भी है।

इसकी वजह पूछने पर मनप्रीत ने कहा कि उन्होंने नीलामी से ही तय कर लिया था कि वह एक संतुलित टीम बनाएंगे और अच्छे डिफंडरों को अपने साथ जोड़ेंगे।

बकौल मनप्रीत, हम नीलामी में पूरी रणनीति के साथ गए थे कि हमें अपनी टीम के लिए कैसे खिलाड़ी चाहिए। कबड्डी डिफेंस के ऊपर ज्यादा खेली जाती है। रेडर आपको अंक लेकर देते हैं, लेकिन उसे बनाए रखना डिफेंस की जिम्मेदारी होती है। बाकी टीम में कॉर्नर है तो सेंटर चेन नहीं है। हमारे डिफेंस में फजल और अबोजार हैं, लेकिन हमारे पास उनके विकल्प भी मौजूद हैं वहीं सेंटर चेन में भी हमारे पास सुनील और परवेश हैं। हमारे जो खिलाड़ी खेल रहे हैं वैसी ही काबिलियत के खिलाड़ी हमारे पास बाहर बैठे हैं। जब आप टीम बनाते हो तो आपको यह सब बातें ध्यान में रखनी पड़ती हैं।

लीग में अभी तक गुजरात ने शानदार प्रदर्शन किया है। वह इस सीजन में पहली ऐसी टीम है जो घर में एक भी मैच नहीं हारी। लेकिन लीग में असल मुकाबला अब शुरू होना है। मनप्रीत से जब पूछा गया कि क्या लीग के अहम मोड़ पर टीम में अनुभव की कमी उनकी राह को रोड़ा बन सकती है तो उन्होंने इसका जवाब न में दिया।

उन्होंने कहा, अनुभव उसको बोलते हैं जो मैट पर दिखता है। ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो पिछले चार-पांच सीजन से खेल रहे हैं, लेकिन उस अनुभव का फायदा क्या है जब उसकी टीम जीतती नहीं है। नए खिलाड़ी हैं उनके पास भी अनुभव है। बेशक उन्होंने पीकेएल में इससे पहले नहीं खेला हो, लेकिन ये बाकी जगह खेलते हैं। जो मैच का टैम्परामेंट होता है वो इनमें कूट-कूट के भरा है। पीकेएल में पहले मैच से टेस्ट होता है। जब इतने मैच खेल चुके हो तो अनुभव वैसे की आ चुका है अब बात आत्मविश्वास की है जो इस टीम में भरपूर है।

कोच और कप्तान में से कौन सा रोल चुनौतीपूर्ण है इस पर मनप्रीत ने कहा कि कोच को कप्तान से ज्यादा काम करना होता है, जब तक मैं खेलता था तो मैं खेल को दूसरी नजर से देखता था कि कैसे अंक लेने हैं, कैसे रेड करनी है, कैसे टैकल करना है और किस खिलाड़ी से क्या काम कराना है। मैट पर वो एक अलग पारी थी। कोच की जिम्मेदारी अलग होती है। आपको खिलाड़ियों को कबड्डी सीखानी है। उन्हें काफी कुछ बताना है, लेकिन मैट के बाहर भी काफी काम करना है। आपको खिलाड़ियों को मैट के बाहर प्रेरित करके रखना है। ऐसा नहीं होता कि आप सभी मैच जीतते हो, आपको हार भी मिलती है। ऐसे में कोच के तौर पर आपकी जिम्मेदारी होती है कि टीम को एक करके रखा जाए। टीम को बिखरने नहीं दे। सभी खिलाड़ियों को एक मानकर चले। कोच को दिनभर काम करना होता है।

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