राष्ट्रीय

मप्र : नर्मदा का जलस्तर थमा, जल सत्याग्रह रुका

बड़वानी, 17 सितंबर (आईएएनएस)| सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के डूब में आ रहे 40 हजार परिवारों के हक की लड़ाई लड़ रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने नर्मदा नदी का जलस्तर थमने पर रविवार की शाम तूीन दिनों चल रहा जल सत्याग्रह स्थगित कर दिया।

मगर चेतावनी दी है कि अगर जलस्तर बढ़ा तो वे फिर सत्याग्रह पर बैठ जाएंगे। आंदोलन का नेतृत्व कर रहीं मेधा पाटकर ने गुजरात में सरदार सरोवर बांध के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पण को अवैधानिक बताया।

रविवार को गुजरात में लोकार्पित किए गए सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से मध्यप्रदेश के 192 गांव और एक नगर डूब क्षेत्र में आ रहा है, क्योंकि बैक वाटर इन्हीं गांवों में भरने लगा है। इसके चलते 40 हजार परिवारों को अपने घर, गांव छोड़ने पड़ेंगे।

गुजरात के लिए नर्मदा के सभी गेट खोल दिए जाने से जलस्तर लगातार बढ़ने लगा और गांवों में पानी भरने लगा। इसके विरोध में मेधा लगभग 30 लोगों के साथ शुक्रवार दोपहर से ही छोटा बरदा गांव के नर्मदा घाट की 17वीं सीढ़ी पर बैठीं थी, क्योंकि 16वीं सीढ़ी डूब चुकी थी। पानी लगातार बढ़ रहा था। जल सत्याग्रह के तीसरे दिन रविवार को दोपहर के बाद जलस्तर थम गया।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के राहुल यादव ने आईएएनएस को बताया कि जलस्तर 128 मीटर के आसपास आकर ठहर गया है। देर शाम तक जलस्तर नहीं बढ़ा तो जल सत्याग्रह को स्थगित करने का फैसला लिया गया, क्योंकि मांग यही थी कि जलस्तर को बढ़ने से रोका जाए। पहले पुनर्वास हो, उसके बाद विस्थापन। अगर जलस्तर फिर बढ़ा, तो जल सत्याग्रह दोबारा शुरू कर दिया जाएगा।

मेधा ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सरदार सरोवर बांध का लोकार्पण पूरी तरह अवैधानिक है, क्योंकि यह बांध चार राज्यों- गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान से संबंधित है। लोकार्पण समारोह में सिर्फ गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी उपस्थित थे, जबकि अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री तो दूर, उनका कोई प्रतिनिधि भी वहां नहीं था। इतना ही नहीं, पर्यावरण मंत्री भी गैरहाजिर थे। इस तरह यह लोकार्पण अवैधानिक है और एक व्यक्ति (नरेंद्र मोदी) की मर्जी से हुआ है।

मेधा पाटकर का आरोप है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद प्रभावितों को न तो मुआवजा दिया गया है और न ही उनका बेहतर पुनर्वास किया गया है। उसके बावजूद बांध का जलस्तर बढ़ाया गया।

मेधा की मांग है कि पुनर्वास पूरा होने तक सरदार सरोवर बांध में पानी का भराव रोका जाना चाहिए। यह भराव गुजरात के चुनाव में लाभ पाने के लिए मध्यप्रदेश के हजारों परिवार की जिंदगी दांव पर लगाकर किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

वहीं, इंदौर संभाग के आयुक्त संजय दुबे ने दोपहर में आईएएनएस से कहा कि आंदोलनकारी सीढ़ियों पर पैर डाले बैठे हैं और जब मीडिया के लोग पहुंचते हैं तो वे खुद को और नीचे उतारकर फोटो खिंचवा लेते हैं। जहां तक निसरपुर का सवाल है, तो निचले हिस्से में कुछ पानी आया है, लेकिन कोई भी हिस्सा टापू में नहीं बदला है। प्रशासन ने अपनी ओर से सारे इंतजाम कर रखे हैं।

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