राष्ट्रीय

बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद नेताओं के जुबान से लगाम हटी

पटना, 12 सितम्बर (आईएएनएस)| बिहार में महागठबंधन को तोड़ जनता दल (युनाइटेड) के अलग होने के बाद बिहार के नेताओं में भाषा की शालीनता भी अब धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। आमतौर पर देखा जाता है कि चुनावी मौसम में नेताओं के बिगड़े बाले चर्चा में आते हैं परंतु बिहार में महागठबंधन के टूटने के बाद से ही नेताओं के जुबानों पर जैसे लगा ‘लगाम’ छूट गया है।

चाहे पार्टी के प्रवक्ता हों या वरिष्ठ नेता, सब बयान देने में शब्दों के चयन में कुछ भी बोल दे रहे हैं। ऐसा नहीं कि इन बयानों के गिरते स्तर पर किसी खास दल के नेता ही शामिल हैं, करीब सभी दलों के नेताओं के जुबान गाहे-बगाहे बहकते नजर आ रहे हैं। मजेदार बात है कि ऐसे में राजनीतिक दल एक-दूसरे को बयानों में शालीनता बनाए रखने का पाठ भी पढ़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

बेनामी संपत्ति के आरोपों में घिरे राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके दोनों पुत्र पूर्व मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और तेजप्रताप यादव सृजन घोटाले को लेकर लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर निशाना साध रहे हैं। ऐसे में इन दोनों पर ‘सृजन का दुर्जन’ कह कर आरोप लगाए जा रहे हैं।

भागलपुर में राजद द्वारा आयोजित ‘सृजन के दुर्जनों के विसर्जन’ रैली में तेजप्रताप यादव ने सार्वजनिक मर्यादा को ताक पर रखकर अपने संबोधन में कहा, सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोटो देखकर लगता है, जैसे वह गर्भवती महिला हों। तेज प्रताप ने सुशील मोदी के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी की।

लालू अपने बेटों से एक कदम और आगे बढ़ गए और नेताओं पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए कहा कि सृजन घोटाले में शामिल जितने भी नेता हैं, उनमें से अधिकतर की ‘गर्लफ्रेंड’ हैं। रैली में तेज प्रताप ने जद (यू) प्रवक्ता नीरज कुमार की तुलना महिषासुर से करते हुए कहा कि नवरात्र का समय आने वाला है और नीरज कुमार का भी वध होगा।

इसके पूर्व लालू ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उल्लू तक कह डाला था। दरअसल, नीतीश कुमार ने राजद द्वारा आयोजित पटना की रैली में उमड़ी भीड़ पर कहा था कि भीड़ कुछ खास नहीं थी। इसके बाद लालू ने ट्वीट कर लिखा था कि उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता।

इधर, जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार भी राजद के बयानों का जवाब देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। नीरज कुमार कहते हैं कि इस पितृपक्ष में लालू का राजनीतिक श्राद्घ तय है।

नीरज ने कहा, लालू प्रसाद के पुत्र गांधी मैदान में शंख बजा रहे थे। शंख बजाकर तालियां बटोर ली और जब आयकर विभाग और सीबीआई ने बुलाया तो हांफने लगे। पूछताछ के लिए बुलाया गया तो कलेजा फूलने लगा और अब भागलपुर में व्यक्तिगत हमला कर रहे हैं।

नीरज ने लालू परिवार को सलाह देते हुए कहा कि भाषायी मर्यादा का पालन करें, नहीं तो राजनीति के श्मशान तक पीछा करेंगे।

इधर, राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह कहते हैं कि नीतीश कुमार चार-पांच प्रवक्ताओं को गाली देने के लिए रखे हुए हैं। ये लोग राजद के नेता को रोज गाली देते हैं।

इस बीच हालांकि मुख्यमंत्री इन बयानों पर ज्यादा कुछ नहीं कह रहे। सोमवार को लोक संवाद कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, मेरे खिलाफ जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है, मैं सुनकर स्तब्ध हूं।

इधर, बिहार के जलसंसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लालू प्रसाद सहित पार्टी के अन्य नेताओं को भाषा की लक्ष्मण रेखा न लांघने की चेतावनी दी।

उन्होंने कहा, भागलपुर में रविवार को राजद की रैली में लालू प्रसाद ने जिस भाषा का प्रयोग किया वह उनके जैसे नेता को शोभा नहीं देता है। वे व्यक्तिगत चरित्र हनन पर उतर आए हैं। हम भी उनके जैसी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन हमारे संस्कार और संस्ति इसकी अनुमति नहीं देते।

उन्होंने राजद के नेताओं के बयानों पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें नहीं तो उल्टा पड़ जाएगा।

बहरहाल, बिहार की राजनीति में नेताओं के बयानों के स्तर को लेकर एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ मची है, अब देखना है कि बयानों का गिर रहा स्तर कहां जाकर रूकता है।

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