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योजना आयोग खत्म होने से त्रिपुरा को सालाना 2,000 करोड़ का घाटा : माणिक

अगरतला, 12 सितंबर (आईएएनएस)| त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा योजना आयोग को खत्म कर नई नीति के अपनाने से योजना आयोग को लगभग 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सरकार ने यहां सोमवार रात एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा योजना आयोग को खत्म कर दिए जाने से विभिन्न केंद्रीय सहायता बंद हो गई हैं और केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के साझा पैटर्न में बदलाव कर दिया गया है, जिससे त्रिपुरा को हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र ने सामान्य केंद्र सहायता, विशेष योजना सहायता और विशेष केंद्रीय सहायता के तहत मिलने वाली निधि को रोक दिया है, इसके अलावा कुछ बड़ी योजनाओं को मिलने वाली निधि में 350 से 400 करोड़ तक की कटौती कर दी गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आठ पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्रीय बजट में कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं आवंटित की गई है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने में त्रिपुरा शीर्ष पर था, लेकिन केंद्र ग्रामीण रोजगार योजना– महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए धनराशि में कटौती कर रहा है, जिसके चलते वर्तमान वित्त वर्ष (2017-18) में राज्य मनरेगा के तहत 100 दिन काम उपलब्ध कराने के बजाय अधिकतम 42 दिन ही काम उपलब्ध करा सकती है।

इस बीच केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने सोमवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के मुकाबले भााजपा नेतृत्व की सरकार ने त्रिपुरा को ज्यादा धनराशि आवंटित किया है।

केंद्रीय मंत्री ने यहां अगरतला में मीडिया को बताया, पिछले तीन सालों के दौरान त्रिपुरा को 7,000 करोड़ रुपये का अधिक केंद्रीय फंड मिला है, जो इसी अवधि में सप्रंग सरकार के मुकाबले ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रियों से धनराशि आवंटित करने के मामले में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को प्राथमिकता देने के लिए कहा है।

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