बिहार : मंत्री के विधान परिषद में मनोनयन के खिलाफ जनहित याचिका दायर
पटना, 12 सितम्बर (आईएएनएस)| लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता और बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस के राज्यपाल कोटे से विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के रूप में मनोनयन को चुनौती देते हुए पटना उच्च न्यायालय में मंगलवार को एक जनहित याचिका दायर की गई। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि मंत्री पारस को राज्यपाल कोटे से मनोनीत करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 के खंड तीन के उपखंड (ई) और खंड (5) के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है।
याचिका में प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि गया है कि प्रावधान में स्पष्ट उल्लेख है कि राज्यपाल द्वारा विधान परिषद में समाज के ऐसे लोगों का मनोनयन किया जाएगा, जिनका किसी खास विषय क्षेत्र में उनका विशेष योगदान हो।
याचिका में कहा गया है कि मनोनयन सिर्फ वैसे लोगों का किया जाएगा, जिनका साहित्य, कला, विज्ञान, सहकारी आंदोलन तथा समाज सेवा में विशेष योगदान हो, जबकि दूसरी तरफ पशुपति कुमार पारस का समाज के उक्त वर्ग या क्षेत्र में ऐसा कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं है। ऐसे में उनका राज्यपाल के कोटे से किया गया मनोनयन भारतीय संविधान से प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग है।
याचिका के माध्यम से अदालत से मांग की गई है कि मंत्री का मनोनयन तय प्रावधानों के अनुरूप नहीं है इसलिए उन्हें अयोग्य घोषित करने का निर्देश संबंधित प्रतिवादियों को दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि बिहार में महागठबंधन के टूटने और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोजपा के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भाई पारस को बिहार मंत्रिमंडल में स्थान दिया था। उस समय पारस किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। राज्यपाल द्वारा मनोनयन के बाद सोमवार को पारस विधान परिषद के सदस्य के तौर पर शपथ ली है।