राष्ट्रीय

शिवराज संवैधानिक संस्था के सदस्यों के चयन में मोह त्यागें : कांग्रेस

भोपाल, 11 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से एक बार फिर आग्रह किया है कि वे चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए जा चुके जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को संवैधानिक व नीतिगत निर्णयों में शामिल न करें। सूचना आयुक्तों की चयन समिति में मिश्रा को सदस्य बनाए रखने के मसले को अपने मोह और प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं। नेता प्रतिपक्ष सिंह ने छह सितंबर को एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री चौहान से मिश्रा को सूचना आयुक्तों के चयन की समिति से हटाकर किसी दूसरे मंत्री को शामिल करने का आग्रह किया था। इस पर चौहान द्वारा दिए गए जवाबी पत्र में कहा गया है कि मिश्रा को न्यायालय से स्थगन मिला हुआ है, लिहाजा सदस्य का बदलना संभव नहीं है।

मुख्यमंत्री के पत्र के जवाब में सोमवार को फिर नेता प्रतिपक्ष सिंह ने एक और पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को चुनाव आयोग द्वारा पेड न्यूज के मामले में अयोग्य ठहराए जाने पर ग्वालियर, जबलपुर और दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोई स्थगन नहीं दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने जरूर इस मामले में डॉ. मिश्रा को अंतरिम राहत दी है, जो स्थायी नहीं है।

पत्र में आगे लिखा है, आपके संज्ञान में यह भी है कि सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय ने मिश्रा के उस आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने विधानसभा के पावसकालीन सत्र में सदन के अंदर उपस्थित रहने और राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करने का आग्रह किया था।

सिंह ने आगे लिखा है कि इससे स्पष्ट है कि चुनाव आयोग के निर्णय को किसी भी न्यायालय ने अस्वीकार नहीं किया है, सिर्फ डॉ. मिश्रा के पक्ष को सुनने के लिए मामले को लंबित रखा है। जानने के अधिकार को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया गया है। इसके पालन में ही राष्ट्रीय स्तर और राज्यों में सूचना आयोग का गठन हुआ है। इनके सदस्यों को न्यायिक अधिकार होते हैं। ऐसी स्थिति में अगर आयोग के सदस्यों का चयन पूरी तरह संवैधानिक रूप से न हो, तो यह उचित प्रतीत नहीं होता है। मंत्री मिश्रा को जो अंतरिम राहत मिली है वह स्थायी नहीं है, ऐसी स्थिति में उनकी उपस्थिति में कोई ऐसा निर्णय हो, जो एक संवैधानिक संस्था को ताकत प्रदान करता हो, सर्वथा अनुचित है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे इस मामले को मोह या प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। सूचना आयुक्त के रिक्त पदों पर पूर्ति अनिवार्य है, इसलिए जब तक मंत्री मिश्रा के मामले में अदालत का अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक उन्हें किसी भी संवैधानिक या नीतिगत फैसले लेने की प्रक्रिया में शामिल न किया जाए।

नेता प्रतिपक्ष ने आग्रह किया है, किसी अन्य को समिति का सदस्य बनाएं, इसके पीछे मेरी कोई राजनीतिक दुर्भावना नहीं है, बल्कि राज्य सरकार कानूनी रूप से निर्विवाद फैसले ले सके, उसे कोई चुनौती न मिले, यह मेरा आशय है।

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