भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत का 130वां जन्म दिवस, वकालत में हासिल थी महारथ
हल्द्वानी। आज रविवार (10—09—2017) उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत का 130वां जन्म दिवस है। गोविंद बल्लभ पंत का अल्मोड़ा में जन्म हुआ था, उन्हें वकालत में महारत हासिल थी। वे सर्वसम्मति से यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री भी चुने गए थे।
गोविन्द बल्लभ पंत जी का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा के श्यामली खूंट गांव में हुआ था। इनकी माता का नाम गोविंदी बाई व पिता का नाम मनोरथ पंत था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उनकी परवरिश उनके दादा बद्री दत्त जोशी ने की थी। 18 साल की उम्र में गोविंद बल्लभ पंत अल्मोड़ा से इलाहाबाद पढ़ाई करने गए और पढ़ाई के साथ कांग्रेस सेवा दल से जुड़े रहे।
इन्होंने इलाहाबाद से कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों से उतीर्ण की इसके लिए इन्हें “लम्सडेन अवॉर्ड” दिया गया। वकालत पूरी होने के बाद कुछ समय उन्होंने अल्मोड़ा और रानीखेत में वकालत की। जिसके बाद दिसंबर 1929 को महात्मा गांधी जी के आह्वान पर वे असहयोग आंदोलन के रास्ते राजनीति में उतर आए। जहां उनकी वकालत का सभी लोग लोहा मानने लगे।
देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने और सशक्त भारत के निर्माण में गोविन्द बल्लभ पंत जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिसके कारण उन्हें 1955 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। 17 जुलाई 1937 से लेकर 2 नवम्बर 1939 तक वे ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के पहले मुख्यमंत्री बने। जिसके बाद उन्हें पुनः 1 अप्रैल 1946 से 15 अगस्त 1947 तक संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) का मुख्यमंत्री बनाया गया।
भारतवर्ष का अपना संविधान बनने के बाद और संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रखे जाने के बाद भी वे तीसरी बार सर्व सम्मति मुख्यमंत्री के पद के लिए उपयुक्त पाए गए। इस प्रकार स्वतंत्र भारत के नवनामित राज्य के भी वे 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 दिसंबर 1954 तक मुख्यमंत्री रहे।