मप्र : गर्भवती एड्स पीड़िता का प्रसव न कराने पर मानवाधिकार आयोग सख्त
भोपाल, 8 सितंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के अस्पताल में एचआईवी गर्भवती महिला का प्रसव न कराने और सड़क पर हुए प्रसव में जुड़वा बेटियों के मृत पैदा होने के मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से घटना के जिम्मेदार चिकित्सकों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की विस्तृत रपट मांगी है। ज्ञात हो कि गर्भवती महिला को प्रसव के लिए 70 किलोमीटर दूर से जिला अस्पताल लाया गया था। रक्त परीक्षण में उसके एचआईवी पीड़ित पाए जाने पर बुधवार को चिकित्सक और कर्मचारियों ने उसे छूने तक से मना कर दिया और प्रसव के लिए 100 किलोमीटर दूर झांसी रेफर कर दिया। महिला अस्पताल इमारत से बाहर निकली और उसके पेट में दर्द बढ़ा। इसके बाद महिला ने सड़क पर ही दो बच्चियों को जन्म दिया, जो मृत थीं।
विभिन्न समाचार माध्यमों से सामने आई इस घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने खुद संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। नोटिस के जरिए यह जानकारी भी मांगी गई है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार चिकित्सक और कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई की गई है। मुख्य सचिव को चार सप्ताह में रपट प्रस्तुत करनी है।
आयोग के नोटिस में मीडिया रपट के हवाले से कहा गया है कि प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को अस्पताल ने 100 किलोमीटर दूर झांसी रेफर कर दिया, जो महिला के जीवन के लिए खतरनाक हो सकता था। जिस समय महिला को उपचार की सख्त जरूरत थी, उस समय उसे अस्पताल के चिकित्सक व कर्मचारियों का सहयोग नहीं मिला।