टैगोर-नलिनी पर फिल्म की संशोधित पटकथा जांचेगा विश्व भारती
कोलकाता, 3 सितंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता उज्जवल चटर्जी नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टेगौर और उनकी अंग्रेजी की शिक्षिका अन्नपूर्णा तुरखुद के बीच रिश्ते को लेकर एक त्रिभाषी फिल्म बना रहे हैं, जिसका निर्माण प्रियंका चोपड़ा की कंपनी कर रही है। इस फिल्म की संशोधित पटकथा को विश्व भारती विश्वविद्यालय को सौंपा गया है, ताकि वह इस पर अपनी राय व्यक्त कर सके। चटर्जी ने आईएएनएस को बताया, मैंने पटकथा का संशोधित संस्करण जमा कर दिया है।
विश्व भारती के कार्यवाहक कुलपति स्वप्न दत्ता के मुताबिक, संशोधित पटकथा को जांच के लिए कवि और विख्यात टैगोर विद्वान संखा घोष के पास भेजा जाएगा।
दत्ता ने बताया, फिल्म के निर्माताओं ने संशोधित पटकथा जमा की है, जिसे हमारे सदस्यों के बीच वितरित किया जाएगा और अंत में इसे संखा घोष के सामने रखा जाएगा।
विश्व भारती ने पहले इसमें से कुछ अंतरंग दृश्यों को निकालने की सिफारिश की थी।
चटर्जी भी एक दृश्य को फिल्म से हटाने के लिए मान गए थे।
अन्नापूर्ण तुरखुद को अन्ना और अन्ना बाई के नाम से भी जाना जाता है, जो आत्माराम पांडुरंग तुरखुद की बेटी थीं, जो कि मुंबई (तब के बम्बई) में डॉक्टर थे। टैगोर 1878 में अपनी पहली ब्रिटेन यात्रा के दौरान उनके परिवार के साथ रहे थे, जहां उन्होंने अन्ना से अंग्रेजी बोलना सीखा था।
उन्होंने अन्ना को नलिनी उपनाम दिया, जिसे अन्ना ने बाद में अपने लेखों में प्रयोग किया। वह टैगोर की कुछ प्रारंभिक कविताओं से काफी प्रभावित थीं। टैगोर भी अन्ना के बारे में कभी नहीं भूले और अपने बुढ़ापे के दिनों में उन्हें याद करते रहे।
यह फिल्म उन दोनों के बीच के आदर्शवादी रिश्ते को चित्रित करती है।
चटर्जी ने इस मराठी-बांग्ला और अंग्रेजी फिल्म के एक दृश्य के बारे में कहा कि जब नलिनी अपने मंगेतर का चुंबन लेती हैं, तो टैगोर खड़े देखते रहते हैं। जबकि दूसरे दृश्य में नलिनी टैगोर के गाल पर चुंबन लेती हैं।
चटर्जी ने कहा, वास्तव में हमें उस दृश्य को बरकरार रखना था, जिसमें नलिनी अपने मंगेतर का चुंबन लेती हैं, क्योंकि वह दस्तावेज में है, बाकी दूसरे दृश्य को हटा दिया गया है।