जोर आजमाइश में फंसी वाणिज्य कर विभाग के अफसरों की तबादला सूची
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में आने वाले वाणिज्य कर विभाग में आला अफसरों के तबादले में लम्बे अरसे से चल रही जोर आजमाइश खत्म होती नहीं दिख रही है।
प्रदेशभर के वाणिज्य कर विभागों में ज्वाइंट कमिश्नरों की तैनाती को लेकर माथापच्ची हो रही है। गौर करने वाली बात यह है कि ज्वाइंट कमिश्नरों की तबादला सूची अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय जानी थी, लेकिन पैरवी वाले तीन अफसरों के नामों पर आमराय न बन पाने के कारण फाइलें लौटा
दी गईं।
कमिश्नर वाणिज्य कर मुख्यालय के अधिकारी गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, कानपुर और लखनऊ की विशेष् जांच टीम एसआईवी में तैनाती के लिए अधिकारियों के चयन पर डेढ़ माह से कवायद करते रहे।
इधर, विभाग के प्रमोशन पा चुके ऐसे 100 डिप्टी कमिश्नर तैनाती नहीं हो पाने कारण भटक रहे हैं। सरकार भी उन्हें बिना काम कराए वेतन का भुगतान कर रही है।
माना जा रहा है कि शासन स्तर से अगर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो हालात और खराब हो सकते है। उधर,प्रमोशन पा चुके अफसरों में नियुक्ति के अभाव में उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
30 जून तक जारी हो जाती है तबादला सूची
प्रदेश के सबसे बड़े वाणिज्य कर विभाग में स्थानांतरण नीति के तहत हर साल की 30 जून तक तबादला सूची जारी कर दी जाती है। इस बार बिना किसी कमेटी के ही तबादला सूची जारी करने और अहम पदों पर अपने चहेतों को बैठाने का काम शुरू किया गया।
समस्या उस वक्त खड़ी हो गई जब एसआईवी और सचल दस्ते के जिन चहेतों को चुना गया,उन नामों पर शासन स्तर से कोई सहमति नहीं बन पाई। मुख्यमंत्री ने तबादला सूची भेजने की अंतिम तारीख 14 अगस्त रखी थी। लेकिन अफसरों के नामों पर इतनी माथापच्ची हुई कि सूची 14 की बजाय 17 अगस्त को भेजी जा सकी। उधर, ज्वाइंट कमिश्नरों की तबादला सूची अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजी जानी थी, लेकिन यहां भी पैरवी वाले तीन अफसरों के नामों पर सहमति न बन पाने के कारण फाइल वापस आ गई। विभागीय अधिकारियों को कहना है कि अगर मुख्यमंत्री की ओर से तबादले पर अब रोक लगाई जाती है तो मामले में अब तक की कवायद पर पानी फिरना तय माना जा रहा है।