जान जोखिम में डाल पीड़ित को पहुंचाते है अस्पताल, कई रास्ते में ही तोड़ देते हैं दम
देहरादून। उत्तराखंड में आज भी एक बडी आबादी को रास्तों की कमी के वजह से जान गंवानी पड़ रही है। दरअसल चमोली के गैरसैण विकासखण्ड के छिमटा दोलतु गांव में न सिर्फ ग्रामीणों को कई किलोमीटर का बल्कि जान जोखिम में डालकर घने जंगलो के बीच सफर करना पड़ता है।
वहां के लोगों को सबसे ज्यादा मुश्किल तो तब होती है जब गांव का कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है। ऐसे में लोग बीमार इंसान को कंधे पर लेकर सड़क तक लंबा सफर तय करते हैं लेकिन हमेशा समय पर नहीं पहुंच पाते है।
वहीं बीरेंद्र सिंह का कहना है कि कुछ ही दिन पहले एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर हमेशा की तरह कंधों पर उठाकर अस्पताल ले तो गए लेकिन अस्पताल पहुंचने तक देर हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि देर होने की वजह से बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई थी।
छिमट्टा दोलतु सहित कई गांवों के लिए 1980 में आदिबद्री बकरिया बैंड से सड़क भी स्वीकृत हो चुकी है मगर इसकी प्रगति आज तक केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गई है।
स्थानीय विधायक यहां जल्द से जल्द सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं और कह रहे हैं कि क्षेत्र की स्थिति अंडमान-निकोबार द्वीप समूह जैसी हो गई है।