मप्र : पत्थरबाजी की रस्म निभाने में 25 घायल, 4 गंभीर
छिंदवाड़ा, 22 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में मोहब्बत के लिए जान देने वाले प्रेमी युगल की याद में मंगलवार को पत्थरबाजी की परंपरा निभाई गई, जिसमें अब तक 25 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें से चार की हालत गंभीर है। इस वार्षिक आयोजन को ‘गोटमार मेला’ कहा जाता है। प्रशासन ने सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के साथ मेला क्षेत्र में निषेधाज्ञा (धारा 144) लगा दी, फिर भी पत्थरबाजी नहीं रुक पाई।
छिंदवाड़ा के जिलाधिकारी जे.के. जैन ने आईएएनएस को बताया, गोटमार मेले में दोनों पक्षों के बीच परंपरागत तौर पर होने वाली पत्थरबाजी में चार लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, वहीं कई अन्य को सामान्य चोटें आईं, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद घर जाने दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, पत्थरबाजी की रस्म निभाते हुए लगभग 25 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है।
छिंदवाड़ा जिले का कस्बा है पांढ़ुर्ना, जहां पोला के दूसरे दिन जाम नदी के किनारे गोटमार लगता है। स्थानीय बोली में पत्थर को गोट कहा जाता है।
पुरानी मान्यता के अनुसार, सावरगांव के लड़के को पांढुर्ना गांव की लड़की से मुहब्बत थी, वह लड़की को उठा ले गया। इस पर दोनों गांवों में तनातनी हुई, पत्थरबाजी चली। आखिरकार प्रेमी युगल की नदी के बीच में ही मौत हो गई। उसी घटना की याद में यहां हर साल गोटमार मेला लगता है। परंपरा को निभाते हुए दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे पर जमकर पत्थर चलाते हैं।
परंपरा के मुताबिक जाम नदी के बीच में एक झंडा लगाया गया। नदी के दोनों किनारों पर गांव के लोग खड़े होकर उस झंडे को गिराने के लिए पत्थर चला रहे हैं, पत्थर दोनों ओर के लोगों को लग रहे हैं, जिससे वे घायल भी हो रहे हैं। जिस गांव के लोग झंडे को गिरा देंगे, वे विजेता माने जाएंगे।
पाढ़र्ना के अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) डी एन सिंह ने आईएएनएस को बताया कि मेला के दौरान पत्थरबाजी को रोकने के व्यापक प्रबंध किए गए हैं, लगभग एक हजार पुलिस जवानों की तैनाती है, साथ ही चार चलित अस्पताल मौके पर हैं।
उन्होंने आगे बताया कि मेला स्थल पर निषेधाज्ञा लगाई गई है, जिसके चलते गोफान, हथियार आदि लेकर आने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
वह बताते हैं कि राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी किए गए निर्देशों के तहत पत्थरबाजी को रोकने की हर संभव कोशिश की, आयोजन स्थल से पत्थरों को पूरी तरह हटा दिया गया था। उसके बाद भी कई लोग थैलों में रखकर पत्थर लाए और एक दूसरे पर बरसाने लगे।