राष्ट्रीयव्यापार

खाद्य पदार्थो, ईंधन की कीमतें बढ़ने से बढ़ी महंगाई

नई दिल्ली| खाद्य पदार्थो और ईंधन की कीमतें बढ़ने से देश में महंगाई मापने के दो पैमाने -थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- जुलाई में ऊपर चढ़ गए हैं।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 1.88 फीसदी हो गई, जबकि जून में यह 0.90 फीसदी थी।

थोक महंगाई दर जुलाई 2016 में वार्षिक आधार पर 0.63 फीसदी बढ़ी है। इसी तरह जुलाई में खुदरा महंगाई दर या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर जून के 1.46 प्रतिशत से बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गई। हालांकि वर्ष दर वर्ष आधार पर यह पिछले वर्ष की समान अवधि के 6.07 के मुकाबले काफी कम रही।

महंगाई मापने के दोनों पैमाने में यह ऊपरी रुझान खाद्य पदार्थो और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण आया है। मंत्रालय ने जुलाई के लिए ‘इंडेक्स नंबर्स ऑफ होलसेल प्राइस इन इंडिया’ रपट में कहा, “थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित वार्षिक महंगाई दर जुलाई 2017 में 1.88 फीसदी रही, जबकि यह जून 2017 में 0.63 फीसदी थी।”

रपट के मुताबिक, “वित्त वर्ष में अब तक महंगाई दर 0.62 फीसदी रही, जबकि पिछले साल की समीक्षाधीन अवधि में यह 3.81 फीसदी थी।” प्राथमिक वस्तुओं पर खर्च 0.46 फीसदी बढ़ा है, जबकि जून 2017 में यह नकारात्मक 3.86 फीसदी था।

इसी तरह खाने-पीने की वस्तुओं के दाम में 2.15 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि जून 2017 में यह दर घटकर नकारात्मक 3.47 फीसदी रही थी। वहीं, जुलाई 2017 में यह आठ फीसदी बढ़ी थी।

प्याज की कीमतें सालाना आधार पर घटकर नकारात्मक 9.50 फीसदी रही है, जबकि आलू की कीमतें गिरकर नकारात्मक 42.45 फीसदी रहीं। जुलाई महीने में सब्जियों की कीमतें बढ़कर 21.95 फीसदी रहीं, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 12.59 फीसदी बढ़ी थी।

हालांकि, गेंहू की कीमत घटी है। गेंहू नकारात्मक 1.16 फीसदी रहा। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे अंडे, मांस और मछली की कीमत बढ़ी है और यह बढ़कर 3.30 फीसदी रही है। ईंधन और बिजली की कीमतें बढ़कर 4.37 फीसदी रही हैं।

हाईस्पीड डीजल की कीमत जुलाई में बढ़कर 5.49 फीसदी रही है, जबकि पेट्रोल की कीमत बढ़कर 9.60 फीसदी और एलपीजी की 0.28 फीसदी रही है। इसी तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 2.36 फीसदी हो गई, जो जून में 1.46 फीसदी थी।

आंकड़े के अनुसार, जुलाई में खुदरा महंगाई दर में वृद्धि अनाजों, दुग्ध उत्पादों, मांस व मछली की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है। अनुक्रमिक आधार पर उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) की वृद्धि दर समीक्षाधीन महीने में जून 2017 के मुकाबले 3.21 प्रतिशत रही।

वर्ष दर वर्ष आधार पर आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में अनाज की कीमतें 3.97 प्रतिशत रहीं और मांस व मछली की कीमतों में 3.19 प्रतिशत वृद्धि हुई। समीक्षाधीन महीने में खाद्य पदार्थो एवं पेय पदार्थो की कीमतों में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले मामूली 0.43 प्रतिशत वृद्धि हुई।

गैर खाद्य श्रेणियों में ईंधन एवं प्रकाश खंड की महंगाई दर जुलाई में बढ़कर 4.86 प्रतिशत हो गई। ग्रामीण उपभोक्त मूल्य सूचकांक 2.41 के उच्च स्तर पर रहा, जबकि शहरी इलाकों में यह 2.17 प्रतिशत पर रहा।

जुलाई में महंगाई में वृद्धि के रुझान पर चिंता जाहिर करते हुए इंडिया इंक ने सरकार से राष्ट्रीय महत्व के उत्पादों की कीमतें बढ़ने से रोकने का आग्रह किया है।

एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर वृद्धि के कारण पेट्रोल और हाई स्पीड डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि पर नीतिनियंताओं को ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इसका आयात बिल पर असर पड़ सकता है और उसका असर मुद्रा दरों पर पड़ेगा। और उद्योग के लिए लागत मूल्यों पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है, जिसके मुनाफे पर पहले से ही दबाव महसूस होने लगा है।”

रावत ने कहा, “हाल में वैश्विक आर्थिक नीतियों की घोषणा से यह स्पष्ट है कि भविष्य में ब्याज दरें बढ़ने जा रही हैं, इसलिए नीतिनियंताओं को ब्याज दरों में वृद्धि की स्थिति से निपटने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।”

इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष पंकज पटेल के अनुसार, सब्जियों की कीमतों में तीव्र वृद्धि के बाद जुलाई में थोक कीमतें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, “हालांकि देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य मॉनसून और आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वैश्विक स्थिरता के कारण कृषि उत्पादों की कीमतें अनुकूल बनी रहीं।”

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