फीस की जगह रद्दी लेकर पूरी करवा रहा ये शख्स गरीब बच्चों की पढाई
देहरादून। कुछ लोग वो होते है जो सपने देखते है और कुछ वो होते है जो सपनों को साकार कर दिखाते है। ऋषिकेश के डॉ. राजे नेगी इस कहावत का जीता जागता सुबूत है। देहरादून की मलिन बस्ती के इन गरीब बच्चों ने शायद कभी ये नहीं सोचा होगा कि कभी उन्हे भी उनके सपने साकार करने की इजाजत मिलेगी पर उनके सपनों को पंख दिया है डॉ नेगी ने।
सब पढ़ें, सब बढ़ें’ जैसे नारे को साकार कर रहे डॉ. नेगी ने मलिन बस्ती में एक ‘उड़ान’ स्कूल स्थापित किया है। इसमें आज 45 बच्चे अपने भविष्य की राह प्रशस्त कर रहे हैं। सबसे अहम बात तो यह है कि इस स्कूल में इन बच्चों से फीस की जगह अखबार कि रद्दी ली जाती है।
डॉ. राजे बताते हैं कि प्ले ग्रुप तक के इस स्कूल में केवल वही बच्चा ऐडमिशन ले सकता है जो झोपड़-पट्टी में रहता हो। अपना या किराये का मकान होने पर उसे स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाता है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए चार शिक्षक हैं।
प्ले ग्रुप में भी सिखाई जाती है गढ़वाली
हर बच्चा गढ़वाली बोल और समझ सके, इसी उद्देश्य से उड़ान स्कूल में एलकेजी से ही बच्चों को गढ़वाली पढ़ाई जाती है। साथ ही, स्कूल में सुबह प्रार्थना भी गढ़वाली में ही होती है। डॉ. राजे ने बताया कि स्कूल में लोकभाषा का पुस्तकालय भी है, जिसमें पूरा गढ़वाली साहित्य मौजूद है।
मेधावी छात्रों को दी जाती है मुफ्त कोचिंग हाल ही में डॉ. राजे नेगी ने मिस ग्रैंड इंडिया अनुकृति गुसाईं के साथ मिलकर क्षेत्र के मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की पहल की है।