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मेधा के उपवास का 7वां दिन, गुरुवार से दिल्ली में उपवास

धार/भोपाल| सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी के 192 गांव डूबने क्षेत्र में आने वाले हैं। पुनर्वास और उचित मुआवजे की मांग को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर का धार के चिखल्दा में चल रहा उपवास बुधवार को सातवें दिन भी जारी रहा।

इस बीच प्रभावितों के समर्थन में विभिन्न संगठनों से जुड़े प्रमुखों ने गुरुवार से दिल्ली के जंतर-मंतर पर उपवास शुरू करने का ऐलान किया है।

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी के 192 गांव डूब क्षेत्र में आने वाले हैं, जिससे 40 हजार परिवारों की जिंदगी प्रभावित होने वाली है। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक संपूर्ण पुनर्वास कर ऊंचाई बढ़ाने के निर्देश दिए थे, मगर पुनर्वास का काम अधूरा पड़ा है।

वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आठ अगस्त को सुनवाई किए जाने के कारण अभी ऊंचाई बढ़ाने काम रुका हुआ है।

किसान संघर्ष समिति और जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय डॉ. सुनीलम् ने  बताया, “मेधा पाटकर का चिखल्दा में बुधवार को सातवें दिन भी उपवास जारी है।

उनके साथ 11 अन्य लोग भी उपवास पर हैं। मेधा उपवास के दौरान सिर्फ पानी ले रही है। उनकी मांग पुनर्वास स्थलों पर समुचित सुविधाएं और विस्थापितों को उनका हक दिलाने की है।”

डॉ. सुनीलम ने बताया कि गुरुवार से शिवराज सरकार की दमनात्मक कार्रवाई के विरोध में और विस्थापितों की संख्या का झूठा खेल-खेलने और पुनर्वास के झूठे दावों की पोल खोलने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर उपवास शुरू किया जाएगा।

बताया गया है कि नर्मदा घाटी से कमलू जीजी, कैलाश अवस्या व कई अन्य लोग जंतर-मंतर पर उपवास करेंगे और उनके समर्थन में योगेंद्र यादव (स्वराज इंडिया), संदीप पांडेय (सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), डॉ. सुनीलम् (किसान संघर्ष समिति, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय), आलोक अग्रवाल (आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय प्रवक्ता व मध्य प्रदेश अध्यक्ष) भी उपवास पर बैठेंगे।

आंदोलन की विज्ञप्ति के अनुसार, उपवास स्थल पर न्यायाधीश राजिंदर सच्चर, अरुणा रय (मजदूर किसान शक्ति संगठन), एनी राजा (अखिल भारतीय महिला फेडरेशन), निखिल डे (मजदूर किसान शक्ति संगठन), कविता श्रीवास्तव (पीयुसीएल), सौम्या दत्ता (पर्यावरणविद व ऊर्जा विशेषज्ञ), फैजल खान (खुदाई खिदमतगार), भूपेंद्र सिंह रावत (जन संघर्ष वाहिनी), राजेंद्र रवि (जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय) व कई अन्य प्रमुख लोग भी उपस्थित रहेंगे।

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