भगवान् योगमाया से काम करते हैं
प्रतिक्षण वर्धमान प्रेम है, वो भगवत्प्राप्ति के बाद भी बढ़ता जायेगा, उसमें कमी नहीं करना है लेकिन अपने सुख के लिए नहीं उनके सुख के लिए- ये ध्यान रखना है। बस इतनी सी बारीक बात है श्यामसुन्दर की अनन्त शक्तियाँ हैं हमारे यहाँ वेदों में कहा गया- ‘‘परास्य शक्तिर्विविधैव श्रूयते स्वाभाविकी ज्ञानबलक्रिया च’’ थोड़ा सा बुद्धि का विषय है समझ लो।
श्यामसुन्दर की अनन्त शक्तियाँ हैं उनमें सबसे प्रमुख है पराशक्ति। पराशक्ति उसका नाम है, नाम धर दिया। पराशक्ति माने? उसके कई पर्यायवाची हैं शास्त्रों में वेदों में। पराशक्ति को चित् शक्ति भी कहते हैं। उसी को गीता में कहा गया है- ‘‘आत्म माया संभवाम्यात्ममायया’’ भागवत में कहा गया ‘‘योगामायामुपाश्रित:’’ अनेक नाम हैं। माया नहीं। माया अलग वस्तु है।
ये माया अलग है। दो माया होती हैं ‘‘नीयते अनया इतिमाया’’ एक माया होती है नीय माने ज्ञायते यानी जिस पॉवर के द्वारा भगवान् को जाना जाय उसका नाम माया। ये भगवान् की पर्सनल पॉवर है। शब्द सुना होगा आप लोगों ने भगवान् योगमाया से काम करते हैं। हाँ। वो योगमाया आत्म माया अथवा चित् शक्ति इत्यादि जो उनके नाम हैं ये उनकी पर्सनल पॉवर का नाम है। शब्द है माया। माया से घबड़ाओ मत।
अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्।
प्रकृतिं स्वामधिष्ठïाय संभवाम्ययात्ममायया।।
(भाग 4-6)