बीसीसीआई एसजीएम में हिस्सा नहीं ले सकते श्रीनिवासन, शाह : शीर्ष अदालत
नई दिल्ली| सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और पूर्व सचिव निरंजन शाह के 26 जुलाई को होने वाली बोर्ड की विशेष आम बैठक (एसजीएम) में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य संघों के अधिकारी ही एसजीएम में हिस्सा लें।
अदालत ने साथ ही ऐसे संकेत दिए हैं कि वह ‘एक राज्य, एक वोट’ को लेकर दिए गए अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है।
अदालत इसके अलावा रेलवे, ट्राई-सर्विसेज और भारतीय विश्वविद्यालय संघ से वोटिंग के अधिकार छीनने और सहायक सदस्य की मान्यता न देने वाले फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर भी विचार कर सकती है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रशासकों की समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय, श्रीनिवासन और अन्य लोगों से विरोधी रवैया न अपनाने की सलाह देते हुए कहा, “एक राज्य एक वोट भारत में शायद अच्छा विचार साबित नहीं हो सकता।”
शीर्ष अदालत ने साथ ही राज्य संघों से कहा कि वह उन अधिकारियों को एसीजीएम के लिए न भेजें जो लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक अयोग्य हैं।
अदालत ने हालांकि यह साफ कर दिया है कि राज्य संघों के लिए लोढ़ा समिति की सिफारिशें बाध्यकारी हैं।
श्रीनिवसान की तरफ से अदालत में दलील दे रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वह लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों के खिलाफ हैं, क्योंकि वह उनके साथ सहज नहीं हैं। इस पर एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा, “लोढ़ा समिति की सारी की सारी सिफारिशों का विरोध नहीं किया जा सकता।”
सुब्रमण्यम ने अदालत से कहा कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक अयोग्य साबित हुए श्रीनिवासन और शाह अदालत को धोखा देकर बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा नहीं ले सकते।
सिब्बल ने कहा कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों में ऐसा कोई नियम नहीं है, जो श्रीनिवासन और शाह को बोर्ड की एसजीएम में राज्य संघों का प्रतिनिधित्व करने से रोके। इसके जवाब में सुब्रमण्यम ने कहा कि यह फैसले की बात है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए विरोध नहीं।
सीओए की तरफ से अदालत में दलील दे रहे सीनियर वकील पराग त्रिपाठी ने भी सुब्रमण्यम की बात का समर्थन किया।
राज्य संघों द्वारा बोर्ड की एसजीएम में अयोग्य सदस्यों को नामित करने के मामले पर अदालत अगली तारीख पर भी विचार करेगी।
अदालत ने 18 जुलाई 2016 के अपने आदेश में महाराष्ट्र और गुजरात के अंतर्गत आने वाले मुंबई क्रिकेट संघ, महाराष्ट्र क्रिकेट संघ, विदर्भ क्रिकेट संघ, गुजरात क्रिकेट संघ, बड़ौदा क्रिकेट संघ, सौराष्ट्र क्रिकेट संघ को रोटेशनल पॉलिसी के तहत एक वोट देने का आदेश दिया था।
अदालत पिछले साल दिए अपने आदेश में कहा था, “एक राज्य और एक वोट के समर्थन में एक जो सही तर्क सामने है वो ये है कि बीसीसीआई की पूर्ण सदस्यता वार्षिक तौर पर तीनों क्लबों में बांटी जाएगी। इस दौरान एक संघ बीसीसीआई के पूर्ण सदस्य के तौर पर काम करेगा बाकी सहायक सदस्य के तौर पर।”
2016 में दिए गए अदालत के आदेश के तहत रेलवे, सर्विसेज और भारतीय विश्वविद्यालय संघ से बीसीसीआई की सहायक सदस्यता छीन ली गई थी, साथ ही कोई भौगोलिक पहचान न होने के कारण मतदान का अधिकार भी छीन लिया गया था।
अदालत ने प्रशासकों की समिति (सीओए) में रिक्त हुए दो पदों के लिए अगली सुनवाई 18 अगस्त को रखी है। यह दोनों पद रामचंद्र गुहा और विक्रम लीमये के इस्तीफा देने के बाद खाली हुए हैं।