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पलायन से खाली गांव में रंगों से आई जान

उत्तनराखंड। लोगों के पलायन से खाली हुये पहाड़ी गांव वीरान बनते जा रहे हैं। कभी जिस घरों में लोगों का जीवन बीतता था। आज वो खंडहर हो चुके हैं। चंबा ब्लॉक का सौड़ भी एक ऐसा ही गांव है। उजाड़ गांव कहे जाने वाले इस गांव में दीपक रमोला ने अब जान भर दी है।

जिसकी दिवारों पर पुराने गांव में लोगों के द्वारा बिताये जीवन के पलों को यहां चित्र के माध्यहम से उकेरा जा रहा है। जिसका उदेश्ये है पलायन को रोकने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देना है। साथ ही गांवों में पुरानी जीवनशैली को वापस लाना है।

वहीं आपकों बतादें की जहां कभी 70 परिवारों का एक गांव बसता था वहां अब मात्र नाम मात्र के परिवार ही बचे है। अंतरक्षेत्रीय पलायन के चलते गांव में अब 12 परिवार रह रहे हैं। बाकी सभी परिवार अपने सुविधा के अनुसार दूसरे स्‍थानों पर जाकर बस गए।

लेकिन इसी ब्लॉक के कोट गांव निवासी दीपक रमोला ने सौड़ गांव की पुरानी यादों को जिंदा करने का बीड़ा उठाया है। दीपक ने गांव से पलायन कर चुके हर परिवार से संपर्क किया। उनकी गांव की जीवन शैली, शिक्षा, खान-पान, रीति-रीवाज के बारे जानकारी जुटाई।

दीपक अब तक 300 भीति चित्रकार ने यहां आने के लिए आवेदन किया। गांव के सवारने में लगे इन कलाकारों में से 80 कलाकारों ने गांव के खंडहर घरों पर कलाकृति कर चुके हैं। जिसका काम इसी साल एक जून से शुरू किया था, जो 30 जून तक पूरा होगा। जिसमें 50 घरों की कलाकारी हो चुकी है। शेष पर चित्र को उकेरने का काम चल रहा है। प्रत्येीक घर को उसी रूप में सवारने का काम चल रहा जैसे-जैसे गांव का जीवन बदलता गया है।

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