प्रार्थनापत्रों को आपराधिक कृत्य नहीं मानती कोर्ट
लखनऊ। पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पांडा द्वारा आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के सेवा सम्बन्धी मामलों में फर्जी अभिलेख बना कर उन्हें प्रताड़ित करने के सम्बन्ध में प्रस्तुत शिकायत सीजेएम संध्या श्रीवास्तव द्वारा ख़ारिज कर दी गयी.
अमिताभ ने गृह विभाग और डीजीपी कार्यालय के अभिलेखों के आधार पर कहा था कि इन अफसरों ने उच्चस्तरीय राजनैतिक दवाब में आपराधिक षडयंत्र कर गलत तरीके से उनके निलंबन विषयक कई सारे फर्जी अभिलेख बनाए, जिसके आधार पर दो बार विधिविरुद्ध तरीके से उनका निलंबन बढ़ाया गया.
सीजेएम ने अपने आदेश में कहा कि वह विभागीय कार्यवाही आरोपी अधिकारियों द्वारा पदीय कर्तव्य में की गयी और यदि ऐसे प्रार्थनापत्रों को आपराधिक कृत्य के रूप में स्वीकार किया जाए तो भारतीय न्यायालय में मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार से अभियोजन स्वीकृति लिए जाने के बाद ही यह वाद लाया जा सकता है, अतः कोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति के अभाव में प्रार्थनापत्र निरस्त कर दिया.