चीन-भारत व्यापार संबंधों से सबक ले पाकिस्तान
इस्लामाबाद | पाकिस्तान के एक प्रमुख समाचार पत्र ने गुरुवार को सरकार को नसीहत दी कि वह चीन व भारत से यह सबक ले कि द्विपक्षीय समस्याओं के बावजूद दोनों देशों ने कैसे अपना व्यापार आगे बढ़ाया। ‘डॉन’ का यह संपादकीय भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई द्वारा नई दिल्ली में की गई उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा पाकिस्तान के साथ उसके संबंध बेहद नजदीकी हैं और चीन, भारत के साथ भी स्थिर व सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है।
उन्होंने कहा, “टिप्पणियां भारतीय लोगों के लिए की गईं, लेकिन उनकी यहां पाकिस्तान में गहरी प्रासंगिकता है। भारत में चीन द्वारा की गई पहलों से पाकिस्तान को सबक लेना चाहिए।” संपादकीय में कहा गया है कि व्यापार को विवादों से अलग रखने की चीन की नीति पर पाकिस्तान को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि भारत तथा चीन के बीच सन् 1962 में युद्ध हुआ और दोनों देशों के बीच सीमा संबंधी विवाद बरकरार हैं। लेकिन इन सारी घटनाओं के बावजूद दोनों देशों ने आर्थिक व द्विपक्षीय संबंधों को उल्लेखनीय स्तर पर आगे बढ़ाया।
‘डॉन’ ने कहा कि पाकिस्तानी नीति निर्माताओं की दलील है कि दक्षिण एशिया में चीन इस्लामबाद का सबसे गहरा मित्र है, लेकिन इस दलील पर नई दिल्ली में चीनी राजदूत द्वारा स्थापित ‘चाइना फर्स्ट’ नीति के नजरिये से फिर से विचार करना चाहिए।
संपादकीय के मुताबिक, “कई बड़ी घटनाएं हैं, जो भारत तथा चीन को बांटने वाली लकीरें खींचती हैं..लेकिन चीन तथा भारत में तर्कसंगत लोगों की आवाजें सुनी जाती हैं, जो दोनों देशों को नजदीक लाती हैं और उन्हें अपरिवर्तनीय आर्थिक संबंधों से जोड़ती हैं।”
संपादकीय में कहा गया, “लुओ की टिप्पणियां पाकिस्तान के भीतर चपलता भरे विचारों के खिलाफ चेतावनी भी है कि सीपीईसी (चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) ने दक्षिण एशिया में उसे उसका सबसे बड़ा व संभावित तौर पर एकमात्र सहयोगी बना दिया है।”