अन्तर्राष्ट्रीय

फ्रांस राष्ट्रपति चुनाव : मैक्रों, ले पेन की टीवी पर ‘तीखी’ बहस

पेरिस| फ्रांस में राष्ट्रपति पद के लिए अंतिम दौर के चुनाव से तीन दिन पहले उदार मध्यमार्गी उम्मीदवार इमानुएल मैक्रों और धुर दक्षिणपंथी मरीन ले पेन के बीच टेलीविजन पर ‘तीखी’ बहस हुई।

समाचार एजेंसी एफे की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर में शीर्ष दो उम्मीदवारों के रूप में उभरे मैक्रों और ले पेन के बीच बुधवार को जिस तरह की ‘तीखी’ बहस हुई, वैसा पहले कभी नहीं हुआ।एलिसी पैलेस के लिए दोनों उम्मीदवारों के बीच अंतिम दौर का मुकाबला सात मई को होना है।

यह साल 2002 के बाद पहली बार है, जब राष्ट्रपति चुनाव के अंतिम दौर में धुर दक्षिणपंथी उम्मीदवार आमने-सामने है। इससे पहले 2002 में ले पेन के पिता ज्यां मारी ले पेन जैक शिराक के खिलाफ मैदान में थे।

हालांकि मैक्रों और ले पेन के बीच टीवी पर हुई बहस के तुरंत बाद कराए गए सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ कि ले पेन इसमें हार गईं।

उन्होंने बहस की शुरुआत मैक्रों पर हमले के साथ की। उन्होंने मैक्रों को मौजूदा सरकार का ‘उत्तराधिकारी’ बताया, जबकि खुद को ‘लोगों की नुमाइंदा’ कहा। मैक्रों ने भी पलटवार करते हुए ले पेन को ‘दीमक’ और ‘झूठी’ बताया।

ले पेन ने मैक्रों को जर्मनी की चांसलर ‘एंजेला मर्केल से प्रभावित’ करार देते हुए कहा कि रविवार को होने वाले चुनाव में कौन जीतेगा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि ‘फ्रांस एक महिला के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा फिर चाहे वह मैं हूं या मर्केल।’

मैक्रों ने कहा कि ले पेन, रूस के राष्ट्रपति ‘व्लादिमीर पुतिन की उम्मीदवार’ हैं। जवाब में ले पेन ने कहा कि फ्रांस को रूस और अमेरिका से ‘समान दूरी’ रखनी चाहिए।

ले पेन ने फ्रांस के आर्थिक विकास में बाधा पहुंचाने के लिए यूरोपीय संघ को जिम्मेदार ठहराया। यह बहस उस वक्त और गर्मा गई जब दोनों उम्मीदवारों ने आतंकवाद के खिलाफ जंग पर अपनी बात रखी।

ले पेन ने आरोप लगाया कि मैक्रों ‘इस्लामिक कट्टरपंथ’ को लेकर सतर्क नहीं हैं। इस पर मैक्रों ने कहा कि चरमपंथी वास्तव में ले पेन को हर हाल में जीतते देखना चाहते हैं। मैक्रों ने कहा कि आतंकवादी ‘कट्टरपंथ और गृह-युद्ध चाहते हैं’, जिसकी ओर ले पेन देश को ले जाएंगी।

यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर निकलने के मुद्दे पर ले पेन ने कहा कि ईयू से फ्रांस के बाहर निकलने पर देश का पैसा बचेगा, जो यहां के लोगों का है।

वहीं, मैक्रों ने कहा कि यूरोपीय संघ में फ्रांस का वित्तीय योगदान बहुत कम है और इससे अलग होने से कुछ भी हासिल नहीं होगा, बल्कि फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा खत्म होगी और देश का कर्ज बढ़ेगा।

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