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योग को धर्म से जोड़ना गलत : राम नाईक

लखनऊ । उत्तर पद्रेश में बुधवार को तीन दिवसीय योग महोत्सव का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर राज्यपाल राम नाईक ने योग के महत्व पर कहा कि नियमित योग बीमारियों से दूर रखने के साथ ही इच्छा शक्ति को प्रबल बनाता है। योग को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित योग महोत्सव में नाईक ने कहा, “हजारों साल पहले ऋषि-मुनियों ने योग का ज्ञान दिया था। चिकित्सा विज्ञान तब आज जैसा विकसित नहीं था, लेकिन तब लोग शतायु होते थे। योग मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखता है। नियमित योग बीमारियों से दूर रखने के साथ ही इच्छा शक्ति को प्रबल बनाता है। योग को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए।”
राज्यपाल ने कहा, “योग भारत की उत्पत्ति है, योग जहां-जहां विदेशों में गया सबको उससे लाभ मिला है। आज के तनावपूर्ण जीवन में योग का विशिष्ट महत्व है। स्वस्थ जीवन की दवा है योग। नियमित योग करने से मन को शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है, जिससे वैचारिक शुद्धता और नैतिकता उत्पन्न होती है। मनुष्य नैतिकता का पालन करेगा तो स्वत: नींद भी अच्छी आएगी।”  योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा, “योग से मन में एकाग्रता उत्पन्न होती है तथा अपना काम प्रमाणिकता से निष्पादित किया जा सकता है। योग को जीवन का अभ्यास बनाए, क्योंकि योग शरीर और सोच पर भी प्रभाव डालता है। नैतिक मूल्यों का पालन भी योग है।”
इस दौरान प्रदेश के उप मुख्यमंत्री, डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा, “भारत को विश्वगुरु बनाने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। आज विदेशों में भी योग अभ्यास की स्वीकार्यता बढ़ी है। योग और आयुर्वेद को सम्मान दिलाने की आवश्यकता है। आयुर्वेदिक उत्पादनों का चलन तेजी से बढ़ा है।” उन्होंने कहा कि संस्कृत अध्यापकों की समस्याओं एवं संस्कृत बोर्ड के गठन पर विचार किया जाएगा। शारीरिक शिक्षा और योग शिक्षा पर भी विचार किया जाएगा। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह, योग विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति डॉ. चंद्रशेखर सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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